मैंने अभी भी सन 2013 पर पीछे मुड़कर नज़र दौड़ना नहीं छोड़ा है। बहुत से परिवर्तन साथ लेकर आया यह साल वाकई बड़ा रोमांचक रहा और इस दौरान बहुत से परिवर्तन घटित हुए। उनमें से एक परिवर्तन हमारी पीठ के लिए अच्छा सिद्ध हुआ: हम खड़े होकर काम करने लगे। कई महीनों से हम एक खड़ा ऊंचा डेस्क इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने शरीर पर इसका प्रयोग करने के बाद हम कह सकते हैं कि यह काफी सफल प्रयोग रहा!
सामान्यतः रोज़ कई घंटे हम अपने कंप्यूटर के सामने व्यतीत करते हैं। यह ठीक है कि हम घर में होते हैं इसलिए काम रोककर बीच-बीच में अपरा के साथ खेल सकते हैं, थोड़ा चहलकदमी कर सकते हैं या आराम कर सकते हैं, कहीं और जाकर बैठ सकते हैं। लेकिन यह ज़्यादा देर बैठकर काम करना पीठ के लिए ठीक नहीं होता। यह हम जानते थे लेकिन क्या किया जा सकता था? हम इतना ही करते थे कि अपने यौगिक व्यायाम बराबर करते थे और जब भी संभव होता था कंप्यूटर छोड़कर उठ बैठते थे और कोई दूसरा काम करना शुरू कर देते थे। आखिर हमारी पीठ ने ही हमें मजबूर कर दिया कि नहीं, हमें कंप्यूटर पर काम करने के तरीके में कोई न कोई बदलाव लाना ही होगा।
काफी समय से मुझे स्लिप-डिस्क की समस्या रही है। यह दर्द 2006 में बहन की आकस्मिक मृत्यु के बाद पहली बार उभरा था। पता नहीं मुझे स्लिप-डिस्क होने का क्या कारण हो सकता है क्योंकि उस वक़्त मैं कंप्यूटर पर काम बिल्कुल नहीं करता था और न ही कोई भारी और वैसी बड़ी चीज़ें उठाता था। जबकि शुरुआती दर्द कुछ समय बाद खत्म हो गया, कुछ महीनों या सालों बाद वह फिर उभर आया और तब मैंने डॉक्टर के पास जाकर पूरा परीक्षण करवाया। संक्षेप में यह कि यह समस्या मुझे तभी से है और कभी-कभी यह बुरी तरह तकलीफ देती है। विशेषकर लंबे समय तक बैठने के बाद!
जब मेरा यह दर्द रोज़-बरोज की समस्या बन गया और रमोना को भी गर्दन और पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत रहने लगी तो उसने इस विषय में जानकारी हासिल करने का निर्णय किया और तब उसे खड़े रहकर काम करने के फ़ायदों का पता चला! गूगल और डॉइच बैंक जैसी बड़ी कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को खड़े डेस्क मुहैया कराते हैं और कुछ मित्रों के साथ बात करने पर उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि उन्हें भी खड़े होकर काम करने की सुविधा मिली हुई है। रमोना ने इस समस्या का और उसके इलाज की विधियों का बारीकी से अध्ययन किया, वीडियोज़ देखे कि कैसे बैठकर काम करने पर रीढ़ की हड्डी धीरे-धीरे घिस जाती है, बैठने और खड़े रहने की उचित मुद्राओं के विषय में पढ़ा और यहाँ तक कि चलती हुई डेस्कों के बारे में भी पढ़ डाला, जिसमें आप एक ट्रेडमिल पर चलते हुए काम कर सकते हैं। स्वाभाविक ही इसमें आपको एक अतिरिक्त लाभ भी प्राप्त होता है क्योंकि इस तरह काम करते हुए आप अपना वज़न भी कम कर रहे होते हैं। लेकिन हमारे लिए यह बहुत दूर की बात थी और हमने फिलहाल इतना ही किया कि अपने लिए खड़े होकर काम करने की सुविधा जुटा ली।
हालांकि शुरू में मुझे शक था कि हम सारा दिन खड़े-खड़े काम कर पाएंगे, फिर भी हमने अपने कार्यालय को पुनर्व्यवस्थित किया और अपने डेस्कों को छोटे-छोटे टेबलों पर रखते हुए अपने कम्प्यूटरों को थोड़ा ऊपर कर लिया, जिससे खड़े रहने पर कंप्यूटर-स्क्रीन्स आँखों के सामने रहें। इसके अतिरिक्त वहीं हमने पैरों के विश्राम हेतु भी थोड़ी सी जगह का प्रबंध किया, जिससे आवश्यकता पड़ने पर एक-एक कर पैर उठाकर वहाँ रखा जा सके।
पहला दिन काफी मुश्किल रहा। पहले हफ्ते भी दिक्कत हुई। मुझे बीच-बीच में कई बार बैठना पड़ता था, लंबे समय तक एकाग्र रह पाना मुश्किल हो गया और बार-बार लगता था, मैं सारा दिन खड़ा नहीं रह पाऊँगा। कई बार हमने टेबलों की ऊंचाई को घटा-बढ़ाकर देखा, जिससे गर्दन में अकड़न पैदा न हो और रमोना तो कुछ दिन स्पोर्ट्स-शूज पहनकर काम करती रही। लेकिन धीरे-धीरे हमारे पैरों के तलवे, टखने और पैरों की मांसपेशियाँ खड़े रहने की अभ्यस्त होती गईं और हमें पता ही नहीं चल पाया कि बैठकर काम करने की तुलना में कब और कैसे खड़े रहकर काम करना हमारे लिए सहज-सामान्य हो गया।
अब यह हमारे लिए काम करने का बहुत अच्छा तरीका बन गया है! जब पैर थोड़े थक जाते हैं, हम एक-एक करके पैरों को थोड़ा उठाकर डेस्क के नीचे रखे स्टूल पर रख लेते हैं। लेकिन हम सारा दिन खड़े नहीं रहते! जब इच्छा होती है हम बैठ जाते हैं। हमारे पास कुछ ऊंचे स्टूल भी हैं, जिनका हम अर्ध-उत्तिष्ठावस्था में (आधा खड़े रहकर) कुछ देर सहारा ले सकते हैं और फिर हमारे पास ऑफिस में पुरानी कुर्सियाँ भी हैं, जिन पर आवश्यकता पड़ने पर हम विश्राम भी कर सकते हैं। अब हम बेहतर ढंग से एकाग्र हो पाते हैं और ज़्यादा सक्रिय और चपल भी महसूस करते हैं क्योंकि अब कहीं बाहर जाना हो तो कुर्सी से उठकर खड़े होने का झंझट नहीं होता। इस तरीके का यह पहलू विशेष रूप से अपरा को बड़ा पसंद आया-जब उसकी मर्ज़ी होती है वह हमें खींचकर सीधे बाहर निकाल लाती है, कंप्यूटर और काम से दूर, उसके साथ खेलने के लिए!
सबसे मुख्य बात यह कि अब दर्द गायब हो चुका है। पीठ के निचले या ऊपरी हिस्से में कोई जकड़न नहीं होती, लंबे समय तक काम करने पर भी हम प्रसन्न महसूस करते हैं और जब भी थोड़ी बहुत अकड़न महसूस होती है, हम वहीं डेस्क पर खड़े-खड़े ही कुछ योग मुद्राएँ करना शुरू कर देते हैं। इस तरह खड़े होकर काम करने का निर्णय हमारे लिए बड़ा लाभकारी सिद्ध हुआ है!
2014 में थोड़े से बदलाव के रूप में यह मेरी आपको सलाह होगी! कई महीने इस तरीके को आजमाने और उसे वाकई बहुत लाभकारी पाने के बाद ही मैं यह लिख रहा हूँ। अगर आप अपनी पीठ की तकलीफ के लिए कुछ अधिक करना चाहते हैं तो हमारी योग-विश्रांति की कक्षाओं में शामिल हो जाइए, जिनमें मुख्य रूप से "पीठ, गर्दन और कंधों के लिए योग" वाली कक्षाएँ आपके लिए सर्वथा मुफीद होंगी। इसमें आप उन व्यायामों के बारे में भी जान पाएंगे जिन्हें आप अपने नए डेस्क पर काम करते हुए भी कर सकते हैं! और अगर आप वज़न कम करने वाले चलते-फिरते डेस्क की बात सोच रहे हैं तो आप "वज़न कम करने के लिए योग" वाली विश्रांति-कक्षाओं का आनंद प्राप्त कर सकते हैं-अपनी छुट्टियों के समय योग करते हुए वज़न कम कीजिये और उन्हें घर में करने की विधियाँ (योग-मुद्राएँ) सीखिए!
अगर आप खड़े होकर ऊंचे डेस्क पर काम करने का विचार कर रहे हैं और इस विषय में आपके मन में कुछ प्रश्न हैं तो मुझे नीचे दिए गए कमेन्ट बॉक्स में लिखिए-इस विषय में आपको सलाह प्रदान करके मुझे खुशी होगी और इस विषय में आपके अनुभवों के बारे में जानकर भी!