जब महिलाएँ अपने पति के विवाहेतर संबंधों को स्वीकार कर लेती है – 7 दिसंबर 2015
स्वामी बालेंदु उस परिस्थिति के बारे में लिख रहे हैं, जिसमें भारतीय महिलाएँ और पश्चिमी महिलाएँ स्वीकार कर लेती हैं कि उनके पति किसी और स्त्री के साथ हमबिस्तर होते रहें।
स्वामी बालेंदु उस परिस्थिति के बारे में लिख रहे हैं, जिसमें भारतीय महिलाएँ और पश्चिमी महिलाएँ स्वीकार कर लेती हैं कि उनके पति किसी और स्त्री के साथ हमबिस्तर होते रहें।
स्वामी बालेंदु स्पष्ट कर रहे हैं कि वे यह नहीं समझते कि खुले, स्वच्छंद संबंधों में नैतिक या सामाजिक रूप से कुछ गलत है। मेरा मानना सिर्फ इतना है कि वे अधिक समय तक चल नहीं पाते।
स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे आप भले ही अत्यधिक सेक्स करते हों, खुले, स्वच्छंद संबंधों में अलग-अलग लोगों के साथ यौनरत होते हों, अंततः आप उससे बोर हो जाते हैं और आपको संतुष्टि नहीं मिलती।
स्वामी बालेंदु खुले संबंधों में आने वाली एक और समस्या के बारे में लिख रहे हैं: जब लोग अपने मुख्य पार्टनर में भी रुचि खोने लगते हैं।
स्वामी बालेंदु स्वच्छंद जीवन शैली और खुले सेक्स संबंधों के बारे में लिखते हुए बता रहे हैं कि क्यों यह व्यावहारिक नहीं है।
स्वामी बालेंदु उन चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे उन्हें प्रेम है, भले ही बहुत से लोग उन चीजों में संलग्न होना बुरा समझते हों। क्यों? और ये चीजें क्या हैं, यहाँ पढ़िए!
स्वामी बालेंदु धर्म, सेक्स, कुछ नियमों और उनकी आपसी अंतःक्रियाओं से उद्भूत बहुत सारी मज़ेदार बातों के बारे में लिख रहे हैं!
बहुत से भारतीय पुरुष और महिलाएँ यह विश्वास करते हैं कि पश्चिम में जो कुछ भी है, सिर्फ सेक्स है! क्यों? स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि दूसरे कारणों के अलावा इसका एक कारण समाचार पत्रों में छपने वाली कहानियाँ भी हैं!
स्वामी बालेन्दु से किसी व्यक्ति ने अपनी इस समस्या पर उनके विचार पूछे: दिन भर के काम के भयंकर तनाव के बाद वह इतना थक जाता है या उसे इतना समय ही नहीं मिलता कि पत्नी के साथ सम्भोग कर सके! क्या किया जाए? बालेन्दु जी का उत्तर यहाँ पढ़ें।
स्वामी बालेन्दु अपने एक सलाह सत्र का ज़िक्र कर रहे हैं, जिसमें एक पुरुष ने स्वीकार किया कि वह अपनी गर्लफ्रेंड से दगाबाज़ी करता रहा है-लेकिन उसे अपनी करतूत पर ज़रा सा भी अफ़सोस नहीं था!