आयोजित विवाह (अरेंज्ड मैरिज): भारतीय संस्कृति की एक बेहद अश्लील व्यवस्था

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क्यों भारतीय युवा अपने माता-पिता से झूठ बोलते हुए ज़रा सा भी नहीं झिझकते? 18 जनवरी 2016

स्वामी बालेंदु भारतीय युवक-युवतियों की, विशेषकर महानगरों में रहने वाली युवतियों की एक परिस्थितिजन्य आदत के बारे में लिख रहे हैं, जिसके चलते वे निस्संकोच अपने अभिभावकों से झूठ बोलते हैं-क्योंकि वे अपनी परंपराओं का पालन नहीं करते!

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भारत में महिलाओं के जीवनों में तब्दीली आ रही है लेकिन वहाँ नहीं, जहाँ कि सबसे अधिक ज़रूरत है – 14 जनवरी 2016

स्वामी बालेन्दु भारत के महानगरों के बारे में लिख रहे हैं जहाँ, कोई सोच सकता है कि, लोगों के विचारों में भी आधुनिक जीवन का प्रवेश हो चुका होगा लेकिन मंज़िल अभी बहुत दूर है!

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क्या आप भी सोचते हैं कि ‘शादी से पहले सेक्स नहीं’ – 13 जनवरी 2016

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे बहुत से नैतिक मूल्यों की जड़ में पुरानी, दक़ियानूसी परंपराएँ हैं, जिन्हें अब उचित नहीं माना जा सकता-इसलिए वे अब हमारे व्यवहार और विचारों को निर्देशित नहीं कर सकते!

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महिलाओं पर बच्चा पैदा करने के दबाव के भयंकर परिणाम – 12 जन 2016

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि भारत में महिलाओं पर शादी के बाद बच्चे पैदा करने के कैसे-कैसे दबाव डाले जाते हैं-और क्या होता है जब वे ऐसा नहीं कर पातीं! यह समाज की क्रूरता प्रदर्शित करता है!

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आपके विवाह के बाद जब आपकी सास आपकी माहवारी का हिसाब रखने लगती है – 11 जनवरी 2016

स्वामी बालेंदु भारतीय समाज, भारतीय परिवार और सास-ससुर द्वारा डाले जाने वाले दबाव के बारे में लिख रहे हैं, जो वे नव विवाहित जोड़ों पर और ख़ास कर नई नवेली बहू पर डालते हैं: जितना जल्दी हो सके बच्चा पैदा करो!

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भारतीय क्यों सोचते हैं कि बच्चों को अपने अभिभावकों से डरना चाहिए? 8 दिसंबर 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे स्कूली किताबें डरा-धमकाकर बच्चों का लालन-पालन करने की भारतीय संस्कृति को प्रतिबिंबित करती हैं, विशेष रूप से पिता से डरकर रहने की संस्कृति को।

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चिल्लाएँ नहीं – बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करें! 10 नवम्बर 2015

स्वामी बालेंदु एक खूबसूरत शाम के बारे में बता रहे हैं, जो एक व्यक्ति द्वारा अपनी पुत्री पर की गयी टिप्पणी से खराब हो गयी। वे लोगों को सलाह देते हैं कि चिल्लाने से पहले बच्चों की भावना के बारे में सोचें!

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सेक्स, सेक्स और सेक्स – पश्चिम के विषय में भारत का विकृत नजरिया – 2 सितंबर 2015

बहुत से भारतीय पुरुष और महिलाएँ यह विश्वास करते हैं कि पश्चिम में जो कुछ भी है, सिर्फ सेक्स है! क्यों? स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि दूसरे कारणों के अलावा इसका एक कारण समाचार पत्रों में छपने वाली कहानियाँ भी हैं!

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भूखे रह सकते हैं मगर झाड़ू-पोछा नहीं करेंगे – भारतीय समाज में व्याप्त झूठी प्रतिष्ठा की धारणा – 16 जुलाई 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे उनके स्कूली बच्चों के कुछ परिवार घरेलू काम वाली नौकरी नहीं करना चाहते क्योंकि वे समझते हैं कि ऐसे हल्के काम उनकी प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं हैं!

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