पिछले दो दिनों में मैंने आपको बताया कि कि क्यों खुले सेक्स संबंध अक्सर सफल नहीं होते। उदाहरण स्वरूप मैंने आपको दो स्थितियों से अवगत कराया था और दोनों ही स्थितियों में संबंधों की असफलता का पहला कारण यह होता है: लोग सेक्स को एक तकनीक के रूप में देखते हैं, एक ऐसी क्रिया, जिससे मनोरंजन होता है, उसमें एक तरह का उत्तेजक आनंद प्राप्त होता है-और वे प्रेम को पूरी तरह भूल जाते हैं!
बहुत से लोग खुले संबंधों के विचार पर मोहित होकर उसे आजमाते हैं। फिर वे बहुत से भिन्न-भिन्न लोगों के साथ हमबिस्तर होने लगते हैं और संभोग में बुरी तरह लिप्त हो जाते हैं। कई बार वे अपने पार्टनर्स इतनी जल्दी-जल्दी बदलते हैं कि उन्हें याद तक नहीं रहता कि कल रात किसके साथ सोए थे। इन संबंधों में भावना नहीं होती, एहसास नहीं होता। तब सेक्स महज शारीरिक क्रिया भर बनकर रह जाती है, एक तरह का यांत्रिक अनुष्ठान, जिसे किसी तरह निपटाया जाना है। उसमें प्रेम नदारद होता है।
कुछ समय बाद उन्हें लगता है कि हर बार किसी चीज़ की कमी रह गई है। वे समझने लगते हैं कि उन्हें वह प्राप्त नहीं हो रहा है, जिसकी खोज में वे यह सब कर रहे थे: किसी रिश्ते का असली मकसद हासिल नहीं हो पाता। किसी के साथ उस स्तर पर जुड़ाव, जो इतनी गहराई तक चला जाता है, जिसे शारीरिक संसर्ग छू भी नहीं सकता। उन्हें प्रेम नहीं मिल पा रहा है।
ऐसा हो भी नहीं सकता! अगर सेक्स सिर्फ अनुष्ठान है, यांत्रिक कर्मकांड है, जब इससे कोई फर्क न पड़े कि किसके साथ सेक्स संबंध बनाया जा रहा है और भले ही आप खुद अपने पार्टनर का चुनाव कर रहे हों लेकिन आप उन्हें बार-बार बदलते रहें तो आप उस पार्टनर से उस तरह नहीं जुड़ पाएँगे जिस तरह किसी एक के साथ दीर्घजीवी सबंध में जुड़ पाते हैं। और सेक्स को लेकर आपकी भावनाएँ भी समान नहीं होंगी, जैसी कि पहले प्रयोग के समय किसी एक सेक्स पार्टनर के साथ कायम दीर्घजीवी संबंध में होती हैं।
आप सेक्स साझा कर सकते हैं, शारीरिक संसर्ग साझा कर सकते हैं और किसी अनुष्ठान में साथ-साथ शामिल हो सकते हैं लेकिन आप वही स्नेह, वही भावनाएँ और वही प्रेम साझा नहीं कर सकते जैसा एक सेक्स पार्टनर के साथ कायम दीर्घजीवी संबंध में कर पाते हैं। प्रेम ही वह चुंबक है जो आपको और आपके पार्टनर को जोड़े रखता है। अक्सर लोग समझते हैं कि सेक्स वह गोंद है-लेकिन वास्तव में वह चुंबक सिर्फ और सिर्फ प्रेम है।
मेरे विचार में सेक्स भी महत्वपूर्ण है! जी हाँ, वह संबंधों के आवेग को घनीभूत कर देता है और दो व्यक्तियों को करीब लाने में महत्वपूर्ण स्थान अदा करता है। लेकिन सिर्फ तभी जब शारीरिक के अलावा एक दूसरा रिश्ता भी हो। आप किसी के साथ एक विस्मयकारी रात गुज़ार सकते हैं और नियमित रूप से उसके साथ यौनानुभव प्राप्त कर सकते हैं, जो आपकी शारीरिक जरूरतों को पूरी तरह संतुष्ट और आनंदित भी कर सकता है लेकिन इतना होने के बाद भी आप किसी चीज़ की कमी महसूस करते हैं।
यही 'कोई चीज़' प्रेम है। और मेरे विचार में इस गहरे प्रेम और लगाव को किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा करना असंभव है!