नास्तिकों के लिए निर्णय लेना और ज़िम्मेदारी स्वीकार करना क्यों आसान होता है? 30 जुलाई 2015
स्वामी बालेन्दु स्पष्ट कर रहे हैं कि उन्होंने अक्सर यह देखा है कि आस्थावान लोगों के लिए ज़िम्मेदारी क़ुबूल करना और किसी बात पर निर्णय लेना नास्तिकों के मुकाबले ज़्यादा मुश्किल होता है। क्यों? यहाँ पढ़िए!