आज रविवार है और मैं आपको एक बार फिर अपने जीवन के विषय में कुछ बताना चाहता हूँ, कुछ ज़्यादा ही व्यक्तिगत और कुछ ऐसा, जिसने आज मुझे अपनी मित्रताओं पर और अपने बीते हुए जीवन पर एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया।
मेरा स्कूल के ज़माने का एक मित्र था। दरअसल वह मुझसे कुछ साल बड़ा था और मुझसे आगे की किसी कक्षा में पढ़ता था लेकिन मैं और मेरा एक और बहुत अच्छा मित्र और वह मित्र बन गए। वह यूरोप चला गया और वहीं स्थायी रूप से बस गया। जब मैं यूरोप गया तो उससे मिलने उसके घर गया था।
हम लोग मित्र तो थे मगर उतने घनिष्ट मित्र नहीं थे। क्योंकि दोनों की ज़्यादातर रुचियाँ एक जैसी नहीं थीं, धीरे-धीरे एक-दूसरे के साथ हमारा संपर्क टूटता गया। बीच-बीच में हमारे बीच संपर्क हो जाता था लेकिन मुझे लगा कि जब मुझे धर्म से विरक्ति होने लगी, तभी से हमारे संबंधों की ऊष्मा भी समाप्त हो गई। बाद में जब यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि मेरे विचार उसके विचारों से बिलकुल मेल नहीं खाते और जब मेरा ईश्वर पर विश्वास भी पूरी तरह समाप्त हो गया, हमने जो थोड़ा-बहुत संपर्क था भी, उसे भी पूरी तरह तोड़ लिया।
लेकिन मेरा वह दूसरा घनिष्ठ मित्र उसका मित्र बना रहा और जब वह उससे मिलने के बाद वृन्दावन आता तो उससे उस भूतपूर्व मित्र की खैर-खबर मिल जाती थी।
काफी समय बाद, इसी तरह मैंने सुना कि वह भी मेरे बारे में पूछता रहता है। मुझे यह भी पता चला कि इस व्यक्ति ने, जो पहले मेरा मित्र रह चुका था, मेरे इस मित्र से कहा कि उसके अनुसार मैं हमेशा हर काम व्यापार के नज़रिए से ही करता रहा हूँ। उसकी नज़र में एक धर्मोपदेशक के रूप में मेरा काम, मेरा लंबा गुफा-निवास, सब कुछ सिर्फ पैसा कमाने के उद्देश्य से किए जाने वाले उपक्रम थे। उसने कहा कि वह पहले से जानता था कि मैं धार्मिक नहीं हूँ, कि मैं सदा से एक नास्तिक था और यह भी कि मैंने अपने नास्तिक होने की घोषणा उपयुक्त समय देखकर, बाद में इसलिए की कि मैंने सोचा ऐसा करने से और भी ज़्यादा पैसा कमाया जा सकता है।
उसकी बात पर मुझे विश्वास नहीं हुआ और फिर मैं हँसे बिना नहीं रह सका! एक ऐसे व्यक्ति के मुँह से यह सुनना, जो मुझे अच्छी तरह जानता है! गुफा-गमन तक और उससे पहले मैं बहुत अधिक धार्मिक, आस्थावान और ईश्वर के लिए समर्पित व्यक्ति था! मैं ईमानदारी के साथ इन सब बातों पर विश्वास करता था और इसीलिए गुफा में मंत्रोच्चार करते हुए मैं तीन साल तक एकांतवास कर सका। अगर सिर्फ पैसे के लिए यह कर रहा होता तो कुछ महीनों में ही पागल हो गया होता! सिर्फ अंधश्रद्धा ही आपसे इस तरह के सनकी कार्य करवा सकती है!
और मुझे नास्तिक होकर क्या मिला? ईमानदारी की बात यह है कि आर्थिक दृष्टिकोण से मेरे लिए धर्म का परित्याग करने और ईश्वर पर विश्वास न करने से अधिक मूर्खतापूर्ण कार्य कोई हो ही नहीं सकता था क्योंकि इन्हें छोड़ने का अर्थ था, अपने अच्छे-खासे जमे-जमाए व्यवसाय से और असंख्य भक्तों से हाथ धोना! अगर मैं हर वक़्त पैसे के बारे में ही सोचता रहता हूँ तो अब धर्म और ईश्वर से कोई लेना-देना न होने के बावजूद मैं आज भी गुरु ही बना रह सकता था, जो मैं पहले से था ही।
मुझे लगता है कि इससे यह पता चलता है कि मेरा दोस्त धर्म के बारे में क्या विचार रखता है: कि सिर्फ व्यापार-व्यवसाय की खातिर ही लोग धर्म को अपनाते हैं और उसमें इतनी सक्रियता से हिस्सा लेते हैं और नाटक और ढोंग करके लोगों को मूर्ख बनाते हैं। शायद इससे धर्म के प्रति उसका रवैया भी उजागर हो जाता है-या क्या वह यह कहना चाहता है कि हर कोई इसे गलत तरीके से कर रहा है और वही सिर्फ ठीक तरीके से कर रहा है?
इस धार्मिक अहंमन्यता के बारे में कल मैं और विस्तार से लिखूँगा। आज के लिए इतना कहना ही काफी है कि न तो मेरे धार्मिक होने का पैसा कमाने से कोई संबंध था और न ही मेरे नास्तिक होने का उससे कोई संबंध है!
Related posts

कृपया ग्लानि न करें यदि किसी की कल्पना करके आपका खड़ा अथवा गीली हो जाए

Bitte haben Sie kein schlechtes Gewissen, wenn Sie eine Erektion bekommen oder nass werden, weil Sie sich jemanden vorstellen

Please don’t feel guilty if you get erection or wet by imagining someone
Meine Beziehung zu meinem Vater
My relationship with my father
पिता के साथ मेरा सम्बन्ध

Neues Kapitel im Leben, Herausforderungen und Lektionen

New chapter in life, challenges and lessons
