मुफ्त सुविधाओं का लाभ उठाते हुए आर्थिक बराबरी का उपदेश – 25 नवम्बर 2015
स्वामी बालेंदु आश्रम के एक मेहमान के इस विचार पर एक विस्तृत टिप्पणी लिख कर रहे हैं: हर व्यक्ति को समान मेहनताना दिया जाना चाहिए, चाहे वह कोई भी काम करता हो।
स्वामी बालेंदु आश्रम के एक मेहमान के इस विचार पर एक विस्तृत टिप्पणी लिख कर रहे हैं: हर व्यक्ति को समान मेहनताना दिया जाना चाहिए, चाहे वह कोई भी काम करता हो।
स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि क्या करें जब आप कुछ आदर्शों के समर्थक होते हैं और देखते हैं कि दुनिया उन आदर्शों के विपरीत चल रही है।
स्वामी बालेंदु उन चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे उन्हें प्रेम है, भले ही बहुत से लोग उन चीजों में संलग्न होना बुरा समझते हों। क्यों? और ये चीजें क्या हैं, यहाँ पढ़िए!
स्वामी बालेन्दु उन लोगों के बारे में लिख रहे हैं जो गुरुओं, धर्मों और स्वामियों के चंगुल में फँस गए हैं: इन लोगों को उस वस्तु की खोज करने के लिए उद्यत किया जाता है जिसे वे कभी पा नहीं सकेंगे।
स्वामी बालेंदु उन लोगों के बारे में लिख रहे हैं, जो अपने आपको ‘साधक’ कहते हैं और उन्हें सलाह दे रहे हैं कि खुश रहने के लिए उन्हें चाहिए कि उसे खोजना बंद कर दें।
स्वामी बालेंदु के व्यक्तिगत सत्र में एक व्यक्ति शामिल हुआ और कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि उसे जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार करना चाहिए। जीवन में हर तरह से प्रसन्न और संतुष्ट इस व्यक्ति से बालेंदु जी के वार्तालाप के बारे में पढिए।
स्वामी बालेन्दु अपने एक जर्मन मित्र के बारे में बता रहे हैं जो अपने स्कूल में एक विषय के रूप में धर्म पढ़ाता है मगर ईसाइयत पर उसका कोई विश्वास नहीं है। उनके बीच हुई बातचीत यहाँ पढ़िए।
स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे हिन्दू दर्शन लोगों को उन अपराधों के लिए अपराधी ठहराता है, जो उन्होंने जीवन में कभी किए ही नहीं होते। इसका समाधान क्या है, उनके शब्दों में पढिए!
स्वामी बालेंदु समझा रहे हैं कि क्यों वे समझते हैं कि गुरुवाद ताकत और भोले-भाले लोगों के शोषण को दावत देता है। अपने गुरु आप बनिए!
स्वामी बालेंदु वेदान्त के दर्शन के बारे में विचार करते हुए कहते हैं कि क्यों एक नास्तिक के रूप में अब उन्हें इस दर्शन में कोई अर्थ नज़र नहीं आता।