मैंने अभी हाल ही में एक व्यक्ति के साथ व्यक्तिगत सत्र किया, जिसके मन में कुछ अजीबोगरीब प्रश्न घूम रहे थे। स्वाभाविक ही, जब मेरी किसी के साथ इस तरह की बातचीत होती है तो मुझे अपने ब्लॉग का विचार आता है और आपका भी कि निश्चय ही आप लोग होते तो इस कमरे में हमारी बातचीत में शामिल होकर उसका भरपूर आनंद ले सकते थे। क्योंकि यह संभव नहीं है मैं इस ब्लॉग के माध्यम से अपनी चर्चा आप तक पहुँचाने की कोशिश करता हूँ।
जो व्यक्ति मेरे पास व्यक्तिगत सत्र हेतु आया था, उसने बताया कि कुल मिलाकर वह अपने जीवन से पूरी तरह खुश और संतुष्ट है। वह एक अवकाशप्राप्त व्यक्ति था, जिसका एक परिवार था और उसके कुछ शौक थे, जिन्हें पूरा करके वह खुशी से भर उठता था। योग उनमें से एक था। लेकिन उसने यह भी जोड़ा कि उसकी योग कक्षाओं में अधिकतर लोग अपने आपको जिज्ञासु मानते हैं और उससे पूछते हैं कि क्या "जीवन के मूलभूत प्रश्नों" के उत्तर जानने की उसे कोई जिज्ञासा नहीं होती: जैसे, मैं इस धरती पर क्यों आया हूँ? या यह कि मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?
उसने आगे कहा कि अब उसे भी यह महसूस होने लगा है कि उसे भी इन प्रश्नों का उत्तर जानना चाहिए या कम से कम इसकी खोज करने का प्रयास तो करना ही चाहिए। इस दिशा में वह विभिन्न संभावनाओं पर विचार भी कर चुका था, जिनमें से एक यह विचार था कि उसका यह जीवन उसका एक अवतार मात्र है और इस जीवन को उसे अच्छे कर्म करते हुए बिताना चाहिए, जिससे एक दिन उसे निर्वाण यानी पूर्ण मुक्ति प्राप्त हो सके। उसने मुझसे पूछा कि मैं उसके इस विचार के बारे में क्या सोचता हूँ।
मैंने जवाब दिया कि मेरा मानना यह है कि ये सारे प्रश्न महत्वपूर्ण नहीं हैं। आपका अस्तित्व यहाँ और अभी है। जब तक आप यहाँ, इस दुनिया में हैं और आपके पास सभी आवश्यक सुख सुविधाएँ मौजूद हैं तो फिर इस बारे में व्यर्थ परेशान होने की आवश्यकता ही क्या है? आप स्वस्थ हैं, आपके पास पर्याप्त भोजन उपलब्ध है, आपके बहुत से यार-दोस्त और भरा-पूरा परिवार है। इसके अलावा आप कह रहे हैं कि इस वक़्त आप वास्तव में बड़े खुश हैं! तो फिर वास्तव में ऐसे प्रश्नों का क्या मतलब रह जाता है?
ये प्रश्न उन लोगों के लिए हैं बल्कि उन्हीं लोगों द्वारा पैदा किए गए हैं, जो नाखुश हैं। जो लोग उन चीजों से संतुष्ट नहीं हैं जो जीवन में उनके पास मौजूद हैं। आप इस वक़्त यहाँ हैं! इस बात पर ध्यान केन्द्रित करने की जगह, इस बात को सुनिश्चित करने की जगह कि आपके जीवन में जो कमी है उसे पूरा करने का प्रयास करें, आप उस समय के बारे में सोचते हैं जो आपकी मृत्यु के बाद आने वाला है!
कोई नहीं जानता कि आगे क्या होने वाला है और हमारी आखिरी साँस के बाद क्या होगा। लेकिन मेरे विचार से उसका कोई महत्व भी नहीं है। वास्तव में जीवन के इस पल में यह बात पूरी तरह अप्रासंगिक है।
मुझे लगता है कि सिर्फ धर्म और वे लोग, जो दूसरों के आध्यात्मिक भ्रमों से लाभ उठाते हैं, इन प्रश्नों का समर्थन और प्रचार करते हैं, इन प्रश्नों को बड़े से बड़ा बनाकर पेश करते हैं और इस तरह उसे इतना महत्वपूर्ण बना देते हैं, जितने महत्वपूर्ण वे कतई नहीं होते।
सिर्फ यहाँ और अभी खुश रहने की कोशिश कीजिए। आपका अस्तित्व है या नहीं? अगर हैं तो फिर उन बातों को, उन चीजों को खोजना शुरू मत कीजिए, जिनका अस्तित्व ही नहीं है या उन प्रश्नों से भ्रमित न होइए, जिनका वास्तव में कोई उत्तर है ही नहीं। दूसरों को आपके जीवन में भ्रम पैदा करने मत दीजिए! जो आप हैं और जो आपके पास उपलब्ध है, उसी में खुश रहिए- आपको किसी काल्पनिक या वायवीय चीज़ को खोजने की ज़रूरत नहीं है!
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