जीवन आपका है, निर्णय भी आपके होने चाहिए-आपको क्या करना है, इस पर धर्म के दबाव का प्रतिरोध कीजिए – 17 सितंबर 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि धर्म चाहता है कि लोग उसके निर्देशों पर चलें और लोगों को चाहिए कि वे अपने निर्णय खुद लें और उनके परिणामों की ज़िम्मेदारी भी लें।

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जब चुनाव, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को धर्म सीमित करता है – 16 सितंबर 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि किस तरह धर्म स्वतंत्रता की उनकी परिकल्पना से बहुत अलग है: वह लोगों पर पाबंदी लगाता है, उनका मत-परिवर्तन करना चाहता है और यहाँ तक कि, जो प्रतिरोध करते हैं, उनकी हत्या करता है।

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यह कहना कि इस्लाम शांति का धर्म नहीं है, क्यों इस्लाम के विरुद्ध पूर्वग्रह नहीं है – 15 सितंबर 2015

स्वामी बालेंदु स्पष्ट कर रहे हैं कि बिना घृणा के भी आप इस्लाम और उसके प्रसार को लेकर अपनी चिंताएँ व्यक्त कर सकते हैं क्योंकि हिंसा उसके धर्मग्रंथ का हिस्सा है।

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यूरोपियन सरकारों से अपील – शरणार्थियों की मदद करें लेकिन मजहब और मस्जिदों पर सख्त पाबंदी लगाएँ – 14 सितंबर 2015

जर्मनी में 200 मस्जिदें तामीर करने के सऊदी अरब के प्रस्ताव पर स्वामी बालेंदु अपने विचार लिख रहे हैं। उनके अनुसार उन्हें चाहिए कि वे इस प्रस्ताव को सिरे से नामंज़ूर कर दें। क्यों? यहाँ पढ़ें।

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संथारा की मूर्खतापूर्ण परंपरा की वजह से आत्महत्या को न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता! 26 अगस्त 2015

स्वामी बालेंदु एक टी वी परिचर्चा का ज़िक्र कर रहे हैं, जिसमें वे भी शामिल हुए थे। यह चर्चा संथारा पर थी, जो जैन समुदाय की एक पुरानी परंपरा है और जो 75 साल से ऊपर के लोगों के बीच आत्महत्या को प्रोत्साहन देती है।

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धर्म के कपटपूर्ण संसार में दो तरह के लोग रहते हैं – 11 जून 2015

स्वामी बालेंदु उन लोगों के बारे में लिख रहे हैं जो धर्म द्वारा निर्मित भ्रमजाल में निवास करते हैं-या तो अंधी भेंड की तरह, सिर्फ दूसरों के आदेश का आँख मूंदकर पालन करते हुए या फिर पाखंडी, जो जानते तो हैं कि यह गलत है, फिर भी उसी नकली दुनिया में रहे आते हैं।

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"मैं ईश्वर की इच्छा से गरीब हूँ और इस बारे में कुछ नहीं किया जा सकता" – धर्म का बुरा प्रभाव – 26 मार्च 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि न जाने कितने लोग अपनी बुरी हालत को सहजता से स्वीकार कर लेते है और उसे बदलने के लिए कुछ भी नहीं करते-क्योंकि वे ईश्वर की इच्छा के विचार पर विश्वास करते हैं!

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गैर हिंदुओं को भारत के धार्मिक समारोहों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने संबंधी एक मज़ेदार रिपोर्ट – 26 फ़रवरी 2015

स्वामी बालेन्दु अपने कुछ मेहमानों के साथ हुए अनुभवों का ज़िक्र कर रहे हैं, जिनमें उनसे धार्मिक समारोहों में शामिल होने की गुज़ारिश की गई थी। वे क्यों उन्हें अत्यंत हास्यप्रद और कुछ चिंताजनक मानते हैं, यहाँ पढ़िए।

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क्या भगवान के लिंग की पूजा आपको अच्छा पति दिलवा सकता है? 19 फरवरी 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि वास्तव में वे क्यों सोचते हैं कि लिंग को लेकर कोई समस्या नहीं है- लेकिन पूजा अपने आप में ही समस्या है!

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आइए, लिंग की पूजा करें – उसमें क्या बुराई है? 18 फ़रवरी 2015

स्वामी बालेन्दु शिवलिंग को लेकर प्रचलित एक और कहानी सुना रहे हैं-और साथ ही इसमें निहित हिन्दू धर्म के एक और पाखंड का पर्दा फाश कर रहे हैं।

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