अत्यधिक सेक्स किस तरह एक रूखा अनुष्ठान बनकर रह जाता है – 2 दिसंबर 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे आप भले ही अत्यधिक सेक्स करते हों, खुले, स्वच्छंद संबंधों में अलग-अलग लोगों के साथ यौनरत होते हों, अंततः आप उससे बोर हो जाते हैं और आपको संतुष्टि नहीं मिलती।

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‘मृत्यु के पश्चात जीवन’ (लाइफ आफ्टर डैथ) कार्यक्रम की तैयारी – 23 जुलाई 15

स्वामी बालेंदु आश्रम में इस सप्ताहांत होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों के बारे में बता रहे हैं, जिसका विषय है-मृत्यु उपरांत देह-दान!

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गैर हिंदुओं को भारत के धार्मिक समारोहों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने संबंधी एक मज़ेदार रिपोर्ट – 26 फ़रवरी 2015

स्वामी बालेन्दु अपने कुछ मेहमानों के साथ हुए अनुभवों का ज़िक्र कर रहे हैं, जिनमें उनसे धार्मिक समारोहों में शामिल होने की गुज़ारिश की गई थी। वे क्यों उन्हें अत्यंत हास्यप्रद और कुछ चिंताजनक मानते हैं, यहाँ पढ़िए।

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नए ज़माने के भारतीय युवाओं: क्या आप अपने परिवार के तथाकथित पिछड़ेपन पर शर्मिंदा हैं? 23 दिसंबर 2014

स्वामी बालेन्दु बहुत से युवा, प्रगतिशील और आधुनिक भारतीय पुरुषों और महिलाओं की इस समस्या पर लिख रहे हैं कि वे रूढ़िवादी परिवारों से आते हैं-यहाँ तक कि वे मित्रों के सामने अपनी इस पृष्ठभूमि को स्वीकार करने में भी संकोच करते हैं!

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मेरे जर्मन मित्र का हमारे आश्रम में विवाह – 14 जुलाई 2013

स्वामी बालेंदु यह बता रहे हैं कि कैसे उनके मित्र चाहते थे कि आश्रम में अपना विवाह रचाएँ और कुछ गलतफहमियों के पश्चात उन्होंने ऐसा किया भी।

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जब बहुत सारा पंचामृत नाली में बह गया……..24 मार्च 13

स्वामी बालेंदु एक धार्मिक अनुष्ठान के बारे में बताते हैं। पढ़िए कि कैसे पावन पंचामृत नाली की भेंट चढ़ गया।

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अंधविश्वासियों की किस्में – 3: सफल, धनवान व्यवसायी – 13 मार्च 13

स्वामी बालेंदु अंधविश्वासियों की तीसरी किस्म का वर्णन करते हैं। दौलतमंद व्यवसायी इस डर में जीते हैं कि अग़र वे अंधविश्वासों को नहीं मानेंगें तो उनकी दौलत खत्म हो जाएगी।

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कर्म-कांडों से नहीं मिलता स्वर्ग: नानीजी – 3 जनवरी 13

स्वामी बालेन्दु उनकी माँ की मृत्यु पर उनके पिता और नानी की धार्मिक मान्यताओं के विषय में तथा उनकी नानी का धर्म के विषय में विचार लिखते हैं|

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धर्म कहता है, बुरे वक़्त पर मरे तो परिवार के पांच लोग और मरेंगे! – 2 जनवरी 13

स्वामी बालेन्दु लिखते हैं कि धार्मिक कर्मकाण्ड पंचक किस प्रकार से उनके मन में भय उत्पन्न करता है जिनके यहाँ पहले ही म्रत्यु हो चुकी है और जो गम में हैं|

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दावत से दिखावे की रस्म पूरी होती है न कि मौत की – 28 दिसम्बर 12

स्वामी बालेन्दु ने मृत्यु के तेरह दिन बाद होने वाले परम्परागत रिवाज तेरहवी का वर्णन किया| पढ़ें उन्होंने अपने परिवार के साथ इस समय क्या किया|

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