योग बाज़ार का घपला – योग कक्षा को चुनना जैसे दूध खरीदना! 17 नवम्बर 2014

स्वामी बालेन्दु दूध और योग खरीदने के बीच समानताओं का वर्णन कर रहे हैं-पुराने समय के मुकाबले अब दोनों में बड़ा परिवर्तन आ गया है!

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सही या गलत का निर्धारण दृष्टिकोण है या तथ्य! 5 नवंबर 2014

स्वामी बालेंदु एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर अपने विचार रख रहे हैं: क्या मैं सही कर रहा हूँ? एक विचार, जो जीवन के किसी भी क्षेत्र में आपके सामने उपस्थित हो सकता है!

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व्यापार में भी सिर्फ पैसा ही सब कुछ नहीं है – 2 सितम्बर 2014

स्वामी बालेन्दु एक महिला की चर्चा कर रहे हैं, जो लोगों की सेवा करके अपनी आजीविका चलाती थी मगर लोग उससे कहते कि उसे अपने काम से ज़्यादा से ज़्यादा धन कमाना चाहिए: महिला समझ नहीं पाती थी कि वह क्या करे!

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सिर्फ असंतुष्ट लोग ही जीवन के मकसद के बारे में पूछते हैं – 28 जुलाई 2014

स्वामी बालेंदु के व्यक्तिगत सत्र में एक व्यक्ति शामिल हुआ और कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि उसे जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार करना चाहिए। जीवन में हर तरह से प्रसन्न और संतुष्ट इस व्यक्ति से बालेंदु जी के वार्तालाप के बारे में पढिए।

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संदेहवाद अथवा अज्ञेयवाद एक पड़ाव है, अंतिम लक्ष्य नहीं – 16 जनवरी 2014

स्वामी बालेंदु समझा रहे हैं कि क्यों वे संदेहवादियों को भ्रमित समझते हैं और मानते हैं कि जल्द से जल्द उन्हें अपने संदेह दूर कर लेने चाहिए।

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