अत्यधिक सेक्स किस तरह एक रूखा अनुष्ठान बनकर रह जाता है – 2 दिसंबर 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे आप भले ही अत्यधिक सेक्स करते हों, खुले, स्वच्छंद संबंधों में अलग-अलग लोगों के साथ यौनरत होते हों, अंततः आप उससे बोर हो जाते हैं और आपको संतुष्टि नहीं मिलती।

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क्या करें जब आपको नकारात्मक लोगों की संगत में रहना पड़े? 4 नवंबर 2015

*स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि उस परिस्थिति से कैसे निपटें जब आपको किसी नकारात्मक व्यक्ति के साथ रहना पड़े।

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जहाँ तक हो सके, नकारात्मक लोगों से दूर रहें – 3 नवंबर 2015

स्वामी बालेंदु पाठकों को आगाह कर रहे हैं कि जो लोग हर समय नकारात्मक बने रहते हैं, उनसे दूर ही रहें। जहाँ तक संभव हो, उनके नज़दीक जाने से बचें!

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जब कभी भी कुछ भी ठीक होता नज़र नहीं आता क्योंकि संतुष्टि भीतर से आती है – 2 नवंबर 2015

स्वामी बालेंदु उनके बारे में अपने विचार लिख रहे हैं जो कभी संतुष्ट या खुश नहीं होते। बालेंदु जी के मुताबिक़ क्यों परिवर्तन भीतर से ही आ सकता है!

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