गैर हिंदुओं को भारत के धार्मिक समारोहों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने संबंधी एक मज़ेदार रिपोर्ट – 26 फ़रवरी 2015

स्वामी बालेन्दु अपने कुछ मेहमानों के साथ हुए अनुभवों का ज़िक्र कर रहे हैं, जिनमें उनसे धार्मिक समारोहों में शामिल होने की गुज़ारिश की गई थी। वे क्यों उन्हें अत्यंत हास्यप्रद और कुछ चिंताजनक मानते हैं, यहाँ पढ़िए।

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जब बहुत सारा पंचामृत नाली में बह गया……..24 मार्च 13

स्वामी बालेंदु एक धार्मिक अनुष्ठान के बारे में बताते हैं। पढ़िए कि कैसे पावन पंचामृत नाली की भेंट चढ़ गया।

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दावत से दिखावे की रस्म पूरी होती है न कि मौत की – 28 दिसम्बर 12

स्वामी बालेन्दु ने मृत्यु के तेरह दिन बाद होने वाले परम्परागत रिवाज तेरहवी का वर्णन किया| पढ़ें उन्होंने अपने परिवार के साथ इस समय क्या किया|

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जब धार्मिक परम्पराओं के सामने 50 साल की दोस्ती को ताक पर रख दिया जाता है – 27 दिसंबर 2012

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे उनके पिता को बड़ा दुख हुआ जब उनके प्रिय मित्र ने अम्माजी के देहांत के बाद उन्हें दिलासा देने की जगह धार्मिक परंपरा को निभाना उचित समझा।

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