जीवन का आनंद लेते हुए खुद को अपराधी महसूस न करें! 5 अक्टूबर 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि क्यों बिना किसी अपराधबोध के आपको वही काम करना चाहिए जिसे आप वास्तव में करना चाहते हैं।

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अपने हाथ की मदद लें – आपको हस्तमैथुन करते हुए अपराधी क्यों महसूस नहीं करना चाहिए! 3 जून 2015

स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि क्यों हस्तमैथुन करना पूरी तरह नैसर्गिक है और उससे आपको कोई हानि नहीं पहुँचती। तो आगे बढिए और खुद आप अपनी मदद कीजिए!

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अपने बच्चों को व्यस्त और टीवी से दूर रखें लेकिन इसलिए नहीं कि वे आप पर बोझ हैं! 20 अप्रैल 2015

स्वामी बालेन्दु एक अच्छे विचार के गलत अमल और खराब विज्ञापन का विवरण लिख रहे हैं! बच्चों को टीवी से दूर रखने के उपाय के बारे में यहाँ पढ़ें!

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अपने अंदर जागने वाली अपरंपरागत यौन फंतासियों के कारण स्वयं को अपराधी महसूस मत कीजिए! 21 दिसंबर 2014

स्वामी बालेन्दु उनके पास आई एक महिला के बारे में बता रहे हैं, जो अपने यौन जीवन को लेकर अपराधबोध से ग्रसित थी क्योंकि उसे लगता था कि जो यौन कल्पनाएँ वह किया करती है, वे परंपरा-विरुद्ध तो थीं ही-शायद उचित भी नहीं थी।

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शाकाहारी होने के कारण मांसाहारी मित्रों के साथ भोजन करते हुए संकोच महसूस न करें – 9 दिसंबर 2014

स्वामी बालेंदु रेस्तराँ में कभी-कभी उपस्थित होने वाली असुविधाजनक स्थिति का वर्णन कर रहे हैं, जब पता चलता है कि मेनू में उनके खाने लायक कुछ भी नहीं है।

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‘आइए, सेक्स के बारे में बातें करें’ का अर्थ ‘आइए, अश्लील चित्र देखें’ नहीं है! 7 अगस्त 2014

स्वामी बालेंदु बहुत से भारतीयों की संकीर्ण, बीमार मानसिकता का वर्णन करते हुए बता रहे हैं कि भारत के लोग सोचते हैं कि सेक्स से संबन्धित हर चीज़ या हर बात गंदी और अश्लील होती है।

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मुझे सेक्स पसंद है- और यह पसंदगी भी मुझे पसंद है! 6 अगस्त 2014

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि सेक्स का ज़िक्र आते ही बहुत से लोग अपराधबोध से ग्रसित हो जाते हैं और शर्मिंदगी महसूस करने लगते हैं। वे यह भी बता रहे हैं कि इसके लिए भी अंततः धर्म ही जिम्मेदार है!

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मुक्ति की आकांक्षा में मृत्यु कि प्रतीक्षा करने के स्थान पर जीवित रहते हुए अपने आपको धर्म के बंधन से मुक्त कीजिए और खुश रहिए! 16 जुलाई 2014

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे हिन्दू दर्शन लोगों को उन अपराधों के लिए अपराधी ठहराता है, जो उन्होंने जीवन में कभी किए ही नहीं होते। इसका समाधान क्या है, उनके शब्दों में पढिए!

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भक्तों की दुविधा: गुरु के अपराधों को जानते हैं मगर मानते नहीं- 11 सितंबर 2013

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि जब किसी गुरु के गुनाहों की पोल खुल जाती है तब उसके चेलों की क्या हालत होती है: जानते हैं कि गुरु दोषी है मगर मान नहीं पाते!

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जब सेक्स में जीवनसाथी की रुचि ख़त्म हो जाये – 7 अप्रैल 2013

स्वामी बालेन्दु उस जोड़े की समस्या लिखते हैं जिसमें कि पत्नी की सेक्स में रूचि समाप्त हो गई थी|

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