स्त्रियाँ और पुरुष, दोनों रोज़गार करते हैं मगर घर के कामों की ज़िम्मेदारी सिर्फ स्त्रियों की ही होती है – 10 दिसंबर 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे लैंगिक भूमिकाओं को स्त्रियाँ और पुरुष, दोनों ज़िंदा रखे हुए हैं। जैसे, घर के कामों का सारा बोझ स्त्री उठाती है और पुरुष को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और वह मदद के लिए सामने नहीं आता!

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मुफ्त सुविधाओं का लाभ उठाते हुए आर्थिक बराबरी का उपदेश – 25 नवम्बर 2015

स्वामी बालेंदु आश्रम के एक मेहमान के इस विचार पर एक विस्तृत टिप्पणी लिख कर रहे हैं: हर व्यक्ति को समान मेहनताना दिया जाना चाहिए, चाहे वह कोई भी काम करता हो।

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दिन भर के कामकाज और मेहनत के बाद क्या आप सेक्स के लिए बेहद थक जाते हैं? 10 अगस्त 2015

स्वामी बालेन्दु से किसी व्यक्ति ने अपनी इस समस्या पर उनके विचार पूछे: दिन भर के काम के भयंकर तनाव के बाद वह इतना थक जाता है या उसे इतना समय ही नहीं मिलता कि पत्नी के साथ सम्भोग कर सके! क्या किया जाए? बालेन्दु जी का उत्तर यहाँ पढ़ें।

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भूखे रह सकते हैं मगर झाड़ू-पोछा नहीं करेंगे – भारतीय समाज में व्याप्त झूठी प्रतिष्ठा की धारणा – 16 जुलाई 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे उनके स्कूली बच्चों के कुछ परिवार घरेलू काम वाली नौकरी नहीं करना चाहते क्योंकि वे समझते हैं कि ऐसे हल्के काम उनकी प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं हैं!

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आयुर्वेदिक रेस्तराँ के काम की प्रगति – 22 फरवरी 2015

स्वामी बालेन्दु अपने आयुर्वेदिक रेस्तराँ के काम की प्रगति और उससे संबन्धित आगे आने वाले कामों में अपनी व्यस्तता के बारे में बता रहे हैं।

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कृपया इसे अवश्य पढ़ें यदि आप रोजमर्रा की जिन्दगी से बचने के लिए छुट्टियाँ मनाने जाते हैं! 2 फरवरी 2015

जब आपका सारा साल अवकाश के उन चार सप्ताहों पर केन्द्रित होता है तो फिर आप उनके साथ क्या गलत कर रहे होते हैं? स्वामी बालेंदु से जानिए!

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मैं घर से किया जाने वाला अपना काम (व्यवसाय) क्यों पसंद करता हूँ – 22 जनवरी 2015

स्वामी बालेन्दु अपने काम के बारे में बता रहे हैं और यह भी कि वे क्यों उससे प्रेम करते हैं भले ही उन्हें बहुत काम करना पड़ता हो, उनका घर और परिवार भी उसमें संलग्न हो जाता हो।

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अपने जीवन का समय बरबाद न हो इसलिए अपने काम से प्रेम करें – 21 जनवरी 2015

स्वामी बालेंदु लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे अपने समय का समुचित उपयोग करें। वे काम न करें जो उन्हें पसंद नहीं हैं क्योंकि वह दिन भर का, एक सप्ताह का और साल भर का काफी समय बरबाद कर देते हैं!

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चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवर लोगों के लिए – आवश्यक जुड़ाव और दूरी – 20 जनवरी 2015

स्वामी बालेंदु चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवर लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए यह याद रखने की सलाह दे रहे हैं कि उन्हें पूरी संलग्नता से अपना काम करते हुए भी उससे दूरी बनाए रखना चाहिए।

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मोनिका की पृष्ठभूमि – पिता, जो परिवार के भरण-पोषण के लिए कुछ नहीं करता! 17 दिसंबर 2014

स्वामी बालेंदु उस वातावरण का वर्णन कर रहे हैं, जिसमें रहकर मोनिका बड़ी हुई है, उसके पिता क्या करते या नहीं करते हैं और कैसे उसकी माँ ने तय किया कि वह खुद पैसे कमाकर बच्चों का लालन-पालन करेगी।

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