पश्चिमी महिलाओं और भारतीय पुरुषों के बीच होने वाले संबंधों पर पिछले तीन हफ्ते लिखने के बाद मुझे लगता है, इस श्रृंखला में यह मेरा अंतिम ब्लॉग होगा। जब मैंने इस पर लिखना शुरू किया था तब मुझे पता नहीं था के मेरे पास इतना कुछ लिखने को है हालांकि मन के किसी कोने में पहले से यह एहसास भी था कि इस विषय में लोगों की इतनी दिलचस्पी अवश्य होगी कि वे इस बारे में पढ़ना चाहेंगे। मैं बहुत से लोगों को जानता हूँ जो इन ब्लॉगों में वर्णित स्थितियों से दो-चार हो चुके हैं और स्वाभाविक ही ये ब्लॉग लिखते हुए मैंने अपने निजी अनुभवों का उपयोग भी किया है। आज मैं बचे हुए कुछ विचारों को, जो अब तक वर्णित स्थितियों में कहीं फिट नहीं होते, लिखकर इस श्रृंखला को विराम दूँगा।
समस्या बन सकने वाला एक विषय है, शाकाहार! अगर आप शाकाहारी हैं तो कुछ देशों में रेस्तराँ में जाना मुश्किल पैदा कर सकता है। पिछले कुछ सालों में शाकाहारियों के लिए स्थितियाँ बहुत बेहतर हुई हैं लेकिन अगर किसी जगह बैरा आपसे कहे कि शाकाहार के नाम पर सिर्फ टमाटर सूप या हरा सलाद ही उपलब्ध है तो हैरान न हों क्योंकि यह इस बात पर निर्भर है कि आप किस देश में हैं और उस देश के छोटे-मोटे कस्बे में हैं या किसी बड़े शहर में! सिर्फ सब्ज़ी-चावल की माँग करने पर बैरा बुरा मान सकता है और संभव है आपकी ओर अविश्वास से देखे और कहे, चावल में से मांस के टुकड़े निकाल देता हूँ, खा लीजिए!
और, हालांकि कई जगहों पर भारतीय रेस्तराँ हैं लेकिन उनमें एक भी ऐसा नहीं मिलेगा जो आपको वास्तव में शुद्ध भारतीय खाना खिला सके, घर का आस्वाद दिला सके! ज़रूरी नहीं कि यह उनका दोष हो- आखिर है तो वह भी रेस्तराँ ही, आपकी माँ की रसोई नहीं। वहाँ आयातित सामग्रियाँ मिलाई जाती हैं, जो स्वाभाविक ही, वैसी ताज़ी नहीं हो सकतीं जैसी भारत में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। या फिर स्थानीय रूप से उत्पादित होती हैं, जिनका स्वाद स्वाभाविक ही बहुत अलग होगा। सबसे बड़ी बात, ये रेस्तराँ इतने ज़्यादा महंगे होते हैं कि वहाँ आप नियमित रूप से खाना नहीं खा सकते। तो मेरी आपको यही सलाह होगी कि माँ से खाना बनाना सीखकर यहाँ आइए और भारत से थोड़े-बहुत मसाले लेकर अपने नए देश में बसिए- बस आपका काम चल जाएगा!
लेकिन आपको स्थानीय भोजन चखने का मौका भी खूब मिलेगा और शायद उसका स्वाद भी आपकी ज़बान पर चढ़ जाए। कुछ देशों में, आपको आश्चर्य होगा कि लोग कितनी ज़्यादा ब्रेड खाते हैं- उदाहरण के लिए, रोज़ नाश्ते में ब्रेड के अलावा कुछ नहीं! मैंने देखा है कि जर्मन लोगों के यहाँ नाश्ते में तरह-तरह की ब्रेडें देखकर भारतीय लोग किस तरह स्तब्ध रह जाते हैं- ब्रेड और जैम, ब्रेड और चीज़, ब्रेड और ब्रेड-स्प्रेड! लेकिन जब आप जर्मन ब्रेडें खाकर देखेंगे तब आपको समझ में आएगा कि सबका स्वाद काफी अलग होता है और सभी एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट होती हैं। और तब हाथ से रोटी बनाना छोड़कर आप शायद खुद भी अपने भोजन में उन्हें शामिल करने का विचार करें!
मुझे आशा है कि मैं आपके सामने कुछ सकारात्मक विचार और टिप्स रख सका। अंतर-सांस्कृतिक संबंधों में बंधे सभी व्यक्तियों को मैं अपनी शुभकामनाएँ अर्पित करना चाहता हूँ-चाहे आपने कोई भी निर्णय लिया हो, किसी भी देश में बसने का इरादा किया हो या चाहे आप किसी भी समस्या से दो-चार हो रहे हों!
और हाँ, पश्चिम में बसने जा रहे भारतीय साथियों के लिए एक अंतिम बात और: अगर आप कार चला रहे हों और कोई पुलिस वाला आपको रोकता है तो उसे रिश्वत देने की कोशिश कभी न करें… इसके नतीजे में आपको जीवन की सबसे बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है!