पश्चिम में बसने जा रहे भारतीयों के लिए कुछ और टिप्स – 9 जुलाई 2015
स्वामी बालेन्दु पश्चिम में बसने जा रहे भारतीयों के लिए उनके पास उपलब्ध कुछ और विचार लिख रहे हैं। पढ़िए और उन पर अमल कीजिए!
स्वामी बालेन्दु पश्चिम में बसने जा रहे भारतीयों के लिए उनके पास उपलब्ध कुछ और विचार लिख रहे हैं। पढ़िए और उन पर अमल कीजिए!
स्वामी बालेंदु अपने आश्रम आए हुए एक मेहमान के प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। प्रश्न भारतवासियों द्वारा पवित्र मानी जाने वाली गाय के बारे में है, जिसके चमड़े का इस्तेमाल करने में उन्हें कोई दिक्कत पेश नहीं आती!
स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि मांस खाने वाले मित्रों के साथ भोजन करते हुए लहसुन और प्याज भी न खाने वाले एक शाकाहारी के रूप में वे किस तरह पेश आते हैं।
स्वामी बालेंदु रेस्तराँ में कभी-कभी उपस्थित होने वाली असुविधाजनक स्थिति का वर्णन कर रहे हैं, जब पता चलता है कि मेनू में उनके खाने लायक कुछ भी नहीं है।
कुछ लोग शाकाहार की ओर रुख करते हुए मांसाहार का 'स्थानापन्न' ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं। स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि क्यों वे टोफू बेकन (tofu-bacon) और सीटन सॉसेज (seitan sausage) के प्रयोग को गलत मानते हैं।
स्वामी बालेन्दु समझा रहे हैं कि सन 2006 में क्यों उनके कुछ मित्र आत्मसंघर्ष के दौर से गुज़र रहे थे: वे शाकाहारी थे लेकिन उन्हें शामनवाद भी पसंद था, जो मांसाहार को प्रोत्साहित करता है।
लोगों की अपेक्षा हो सकती थी मगर मांसाहार, शराब और धूम्रपान के प्रति स्वामी बालेंदु का रवैया वैसा नहीं है। स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि ऐसा कैसे संभव हुआ।