संयुक्त परिवार के बाईस लोग और पाँच कमरे – हमारे स्कूल के बच्चे – 11 सितंबर 2015

स्वामी बालेंदु अपने स्कूल की एक लड़की का परिचय अपने पाठकों से करवा रहे हैं, जो 22 सदस्यों वाले एक संयुक्त परिवार में रहकर बड़ी हो रही है।

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दिन भर के कामकाज और मेहनत के बाद क्या आप सेक्स के लिए बेहद थक जाते हैं? 10 अगस्त 2015

स्वामी बालेन्दु से किसी व्यक्ति ने अपनी इस समस्या पर उनके विचार पूछे: दिन भर के काम के भयंकर तनाव के बाद वह इतना थक जाता है या उसे इतना समय ही नहीं मिलता कि पत्नी के साथ सम्भोग कर सके! क्या किया जाए? बालेन्दु जी का उत्तर यहाँ पढ़ें।

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भारत में विवाहित पश्चिमी महिलाओं: क्या आप ‘रजोधर्म के भारतीय नियमों’ का पालन करती हैं? 30 जून 2015

स्वामी बालेंदु भारतीय संयुक्त परिवार में व्याप्त धार्मिक और अंधविश्वास से पूर्ण रीति-रिवाजों के बारे में लिख रहे हैं, जो भारतीय पुरुषों से विवाहित पश्चिमी महिलाओं के सामने अक्सर समस्या के रूप में उपस्थित हो सकते हैं।

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भारतीय मर्द से शादी करना चाहती हैं? क्या संयुक्त परिवार के अनुभवों से गुज़रने के लिए भी तैयार हैं? 29 जून 2015

स्वामी बालेंदु एक ऐसे विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं, जो आगे चलकर कई और समस्याओं में परिणत हो जाते हैं, जब एक पश्चिमी महिला अपने भारतीय जीवन साथी के साथ उसके देश भारत में संयुक्त परिवार में रहने का निश्चय करती है!

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भारतीय पुरुष पश्चिमी महिला के मध्य का निर्णय: काम करे या घर संभाले? 23 जून 2015

स्वामी बालेन्दु कुछ ठोस सवाल पेश कर रहे हैं, जिन्हें पश्चिमी महिला और भारतीय पुरुष जोड़ों को एक-दूसरे से और अपने आपसे भी पूछना चाहिए। जैसे कि स्त्री अपना कोई काम या नौकरी करेगी या सिर्फ घर संभालेगी!

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जब लड़ाई-झगड़े संयुक्त परिवार तोड़ देते हैं तथा जीवन और भी दुश्वार हो जाता है – हमारे स्कूल के बच्चे – 1 मई 2015

स्वामी बालेंदु अपने स्कूल के एक बच्चे का परिचय अपने पाठकों से करवा रहे हैं, जिसके संयुक्त परिवार में इतना कटु विवाद हुआ कि उन्होंने घर के बीचोंबीच दीवार खड़ी कर ली।

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भारत में परंपरागत आयोजित विवाह – सस्ती नौकरानी ढूँढ़ने का एक तरीका? 3 फरवरी 2015

स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि कभी-कभी कैसे भारत के पारंपरिक आयोजित विवाह घर में एक अतिरिक्त सहायक प्राप्त करने का ज़रिया नज़र आते हैं। वे इस नतीजे पर क्यों पहुँचे, यहाँ पढ़िए।

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आपरेशन के बाद मोनिका के पिता या परिवार का कोई सदस्य न तो अस्पताल आये और न ही फोन किया! 29 दिसंबर 2014

स्वामी बालेंदु मोनिका, उसकी पारिवारिक स्थिति और शल्यक्रिया के पश्चात उसके हालचाल पर थोड़ा सा आँखों देखा हाल बता रहे हैं और उन पर अपने कुछ विचार व्यक्त कर रहे हैं।

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प्रियजन के विछोह को शब्दों में वर्णन करना संभव नहीं! 5 अक्टूबर 2014

स्वामी बालेंदु उनकी बहन की मृत्यु के बाद उनके परिवार में छाए गहरे शोक का चित्रण कर रहे हैं।

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पश्चिम में वृद्धों का कठिन जीवन – 25 सितम्बर 2014

बहुत से लोगों को वृद्धावस्था में बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। स्वामी बालेन्दु उनकी इस हालत का वर्णन करते हुए समझा रहे हैं कि वृद्धों को क्यों उनके लिए बनाए गए वृद्धाश्रम में रहने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं होता।

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