चिंता, अवसाद और निष्क्रियता के लिए एक नास्तिक और भूतपूर्व गुरु के द्वारा बताई ध्यान की इस विधि का प्रयोग करें – 15 अक्टूबर 2015

स्वामी बालेंदु संत्रासग्रस्त, अवसादग्रस्त या चिंताग्रस्त लोगों की मदद के लिए योग की युक्तियाँ बता रहे हैं, जिन्हें एक के बाद एक क्रमशः अमल लाने पर लाभ हो सकता है। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो इन्हें आजमाइए, अवश्य लाभ होगा!

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ध्यान – मस्तिष्क को नियंत्रित करने का फर्जी तरीका – 13 अप्रैल 2015

स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि क्यों और कैसे ध्यान मस्तिष्क को नियंत्रित करने के लिए नहीं बनाया गया है-हालाँकि सामान्य रूप से इसका प्रचार इसी तरह किया जाता है!

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एक-दूसरे के प्रति दिमाग खुला रखना – मैं और मेरी पत्नी किस तरह एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं – 19 मार्च 2015

स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि दिमाग को कम से कम अपने जीवन के सबसे ख़ास व्यक्ति के लिए खुला रखना कितना महत्वपूर्ण है: अपने जीवन साथी के लिए। उनके अनुभव यहाँ पढ़िए।

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अपने दिमाग के दरवाजे दूसरों के लिए खुले छोड़ देने के खतरे – 18 मार्च 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि जब आप अपने विचारों को ऐसे लोगों के सामने रखते हैं, जो उनका निर्वाह ज़िम्मेदारी के साथ नहीं करते तो यह कितना खतरनाक हो सकता है।

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यथार्थ से कोसों दूर अपने निजी यथार्थ का निर्माण – 17 मार्च 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि वास्तविक संसार के नैसर्गिक नियमों की अनदेखी करते हुए अपनी आस्थाओं और कल्पनाओं के आधार पर अपना एक अलग संसार रच लेना, शारीरिक और मानसिक रूप से आपके लिए कितना घातक हो सकता है।

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आप अपना एक निजी विश्व रचते हैं – प्लासिएबो इफैक्ट और खुशी के लिए! 16 मार्च 2015

स्वामी बालेंदु इस संभावना के बारे में लिख रहे हैं कि आप अपनी चिंतन-प्रक्रिया, कल्पनाओं और विश्वासों से अपने एक निजी विश्व का सृजन करते हैं। इस विषय में उनके विचार यहाँ पढ़ें।

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एक सामान्य मगर त्रुटिपूर्ण समझ: ध्यान मस्तिष्क को नियंत्रण में रखना है – 9 मार्च 2015

स्वामी बालेंदु समझा रहे हैं कि क्यों ध्यान लगाते वक़्त अपने दिमाग पर नियंत्रण रखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कैसे आप नियंत्रण की इच्छा पर लगाम लगा सकते हैं, यहाँ पढ़िए!

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महत्वाकांक्षी होना अच्छा है – लेकिन स्वार्थी न हों – 3 मार्च 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि महत्वाकांक्षी होना क्यों बुरा नहीं है। यहाँ उसके फ़ायदों और नुक़सानों के बारे में पढ़िये और जानिए कि कैसे उसका प्रयोग आप अपने पक्ष में कर सकते हैं और ऐसा करते हुए आपको किन बातों का खयाल रखना चाहिए।

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सही और गलत की पहचान करने और अपनी धारणाओं पर पुनर्विचार करने में यात्राएँ किस तरह मददगार होती हैं? 6 नवंबर 2014

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि क्यों अपना दिमाग खुला रखना महत्वपूर्ण है और किस तरह यात्राएँ सही और गलत के बारे में दूसरों के बोध और अनुभवों को जानने-समझने का मौका प्रदान करती हैं।

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पुरानी परम्पराओं और धार्मिक रूढ़ियों की जकड़न से अपने मस्तिष्क को आज़ाद कीजिए! 9 अक्टूबर 2014

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि क्यों धार्मिक विश्वासों, परंपरागत व्यवहारों और सांस्कृतिक मूल्यों को भी कभी-कभी साफ करना ज़रूरी है!

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