जर्मनी जाने की तैयारियाँ – 12 नवंबर 2015
स्वामी बालेंदु परिवार सहित जर्मनी प्रस्थान से पहले के आखिरी एक दिन का विवरण लिख रहे हैं।
स्वामी बालेंदु परिवार सहित जर्मनी प्रस्थान से पहले के आखिरी एक दिन का विवरण लिख रहे हैं।
स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि क्यों अपना दिमाग खुला रखना महत्वपूर्ण है और किस तरह यात्राएँ सही और गलत के बारे में दूसरों के बोध और अनुभवों को जानने-समझने का मौका प्रदान करती हैं।
Swami Balendu describes their Ashram's offer to accompany single women on their journeys through India.
स्वामी बालेंदु अपनी पत्नी और बेटी के साथ जर्मनी से भारत वापस आने के अनुभव को साझा कर रहे हैं।
स्वामी बालेंदु अपनी भारत वापसी की तैयारियों और अपरा की खुशी के बारे में बताते हुए यूरोप में बिताए तीन सुखद महीनों की याद कर रहे हैं।
स्वामी बालेन्दु अपने पिछले सफ़र का ज़िक्र कर रहे हैं-यह बताते हुए कि वह इतना दिलचस्प और यादगार क्यों है!
ग्रान कनारिया से बिदा लेते हुए स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि जिन लोगों को जानने का उन्हें मौका मिला वे कई बातें अलग ढंग से करते हैं-जैसे छुट्टियाँ मनाने उनका तरीका! कैसे? जानिए, उन्हीं के शब्दों में।
भारत से रवाना होते हुए स्वामी बालेंदु अपनी जर्मनी यात्रा के दौरान होने वाले अनुभवों का पूर्वानुमान लगा रहे हैं। जर्मनी जाने की उत्सुकता में वे किन बातों का इंतज़ार कर रहे हैं!
स्वामी बालेंदु उन पश्चिमी महिला यात्रियों को कुछ और सुझाव दे रहे हैं, जो अपनी ज़िम्मेदारी पर अकेले ही भारत-भ्रमण पर निकली हैं। आपको किन चीजों से बचना चाहिए, यहाँ पढ़िये!
स्वामी बालेंदु सुझाव देते हुए बता रहे हैं कि अकेले भारत-भ्रमण पर आई पश्चिमी महिलाओं को अपने व्यवहार में किन बातों से परहेज करना चाहिए।