स्वयं को अपने से छोटा न करें और अपनी ईमानदार तारीफ़ को सहजता के साथ स्वीकार करें – 26 नवंबर 2015

स्वामी बालेंदु अपने एक मित्र के बारे में लिख रहे हैं, जिसकी किसी ने तारीफ़ की और उसे विश्वास नहीं हुआ कि उस तारीफ में, जिसे बहुत साधारण शब्दों में व्यक्त किया गया था, सचाई भी हो सकती है।

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सही या गलत का निर्धारण दृष्टिकोण है या तथ्य! 5 नवंबर 2014

स्वामी बालेंदु एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर अपने विचार रख रहे हैं: क्या मैं सही कर रहा हूँ? एक विचार, जो जीवन के किसी भी क्षेत्र में आपके सामने उपस्थित हो सकता है!

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हर मुश्किल में भी अपना आत्मसम्मान बनाए रखें! 4 सितंबर 2014

स्वामी बालेंदु ऐसी परिस्थितियों का ज़िक्र कर रहे हैं जब अपने आपसे प्रेम करना मुश्किल होता है- फिर भी, किस तरह आप उसे हासिल कर सकते हैं।

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स्वास्थ्य के मुकाबले अपनी बीमारी से ज्यादा प्यार मत कीजिए! 5 मई 2014

स्वामी बालेन्दु उनके विषय में लिख रहे हैं, जिन्हें बीमार होना और बीमार पड़े रहना अच्छा लगता है-इस आदत के विकल्पों के बारे में उनके विचार यहाँ पढ़िए!

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भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं के काल्पनिक डर से कैसे निपटें! 17 फरवरी 2014

स्वामी बालेंदु कुछ प्रकरणों का ज़िक्र कर रहे हैं, जिनमें लोग भविष्य में होने वाली काल्पनिक घटनाओं से आशंकित होकर उनके पास सलाह हेतु आए थे। वे बता रहे हैं कि इस व्याधि से निपटने के लिए क्या किया जा सकता है।

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अकेले भारत भ्रमण पर आई पश्चिमी महिलाओं के लिए कुछ सुझाव: भाग 2 – 30 जनवरी 2014

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि भारत भ्रमण पर अकेले आई महिलाओं के लिए भारत के बारे में विस्तृत जानकारी रखना कितना ज़रूरी है और यह भी कि मुश्किल परिस्थितियों में वे क्या-क्या कर सकती हैं।

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आत्मविश्वास बढ़ाने वाला एक पांच-सूत्री कार्यक्रम- 29 अगस्त 2013

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे आप पाँच बिन्दुओं वाले इस सरल कार्यक्रम पर अमल करके अपने स्वाभिमान को बढ़ा सकते हैं। खुद आज़माकर देखें!

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आप खास हैं क्योंकि आप, आप हैं- इसलिए नहीं कि आप क्या करते हैं!-14 अगस्त 2013

स्वामी बालेंदु समझा रहे हैं कि क्यों वे ऐसा समझते हैं कि वृहत बहुसंख्यक समूह का हिस्सा बन जाना ठीक ही है-और यह बात आपको किंचित भी कम विशिष्ट नहीं सिद्ध करती!

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यह आपका जीवन है – ध्यान रहे, समाज आप पर कोई दबाव न बना पाए- 13 अगस्त 2013

स्वामी बालेंदु उन लोगों के बारे में लिख रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन की एक ऐसी विशेष रूपरेखा (कार्ययोजना) बनाई थी, जो समाज के सामान्य नियमों और परम्पराओं के विपरीत थी।

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असुरक्षा और आत्मविश्वास की कमी लोगों को गुरु की खोज में लगा देते हैं – 2 जून 2013

स्वामी बालेन्दु एक आयरिश महिला के बारे में बता रहे हैं जो बहुत असुरक्षित महसूस करती थी और इसलिए हमेशा किसी न किसी गुरु की खोज में लगी रहती थी। यह असुरक्षा की एक स्वाभाविक परिणति ही थी; क्यों, यहाँ पढ़ें।

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