कल के ब्लॉग में यह बताने के बाद कि तलाक लेने की जगह निचले वर्ग की लड़कियां खुश रहने का दिखावा करती हुई अपने विवाह में क्यों बनी रहती हैं आज मैं इसी संबंध में मध्य वर्ग की लड़कियों की बात करूंगा। अर्थात, मैं उन खाते-पीते परिवारों के बारे में लिखूँगा जिन्हें जीवित रहने की चिंता नहीं है, जिनके पास बच्चों को स्कूल भेजने के लिए, उनके लिए कपड़े खरीदने और अच्छा भोजन मुहैया कराने के लिए पर्याप्त धन है मगर इसके बावजूद जिन्हें कोई बड़ा खर्च करने से पहले चार बार सोचना पड़ता है।
लड़की पैदा होते ही उसके विवाह के लिए वे बचत करना शुरू कर देते हैं। वे यह जानते हैं कि एक दिन आएगा जब उन्हें अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा खर्च कर देना होगा और वे बैंक जाकर अपने सामर्थ्यानुसार विवाह बचत योजना में हर माह पैसा जमा करना शुरू कर देते हैं। आम तौर पर बीस साल के बाद वह रुपया उन्हें प्राप्त होता है और वे अपनी लड़की के विवाह पर एक बड़े खर्च के लिए तैयार होते हैं।
उनके लिए यह एक बड़ा आयोजन होता है और विवाह की तैयारियों के दौरान आप बार-बार उनके मुंह से सुन सकते हैं कि 'शादी जीवन में एक बार ही होती है!' इस तरह यह लड़की और लड़का, दोनों के लिए जीवन का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आयोजन बन जाता है। शादी होने के बाद अगर वे महसूस करते हैं कि मामला जमा नहीं तो यह उनके लिए बहुत संकटपूर्ण घड़ी होती है। उनके परिवारों ने उनके विवाह पर इतना अधिक खर्च कर दिया होता है, एक दिन में ही सारा प्रेम और सारी जमा-पूंजी, कि दोनों के लिए यह सोचना भी मुश्किल होता है कि इस व्यक्ति के साथ रहने के स्थान पर वे अब अलग हो जाएंगे, लड़की के मामले में इसका यह अर्थ होता है कि वह उस घर से ही बाहर निकल जाएगी।
आपको यह ध्यान रखना होगा कि ऐसी आर्थिक स्थिति वाले लोग अपना रहन-सहन हमेशा अच्छा बनाए रखने के लिए बहुत प्रयास करते हैं। वे अपनी आमदनी का बेहतर प्रबंध करने की कोशिश करते रहते हैं और चाहते हैं कि आस-पड़ोस और दोस्त-रिश्तेदार भी उनके रहन-सहन को देखें और समझें कि वे बिल्कुल निचले वर्ग जितने गरीब नहीं हैं। वे कुछ ज़्यादा कमा लेते हैं और विवाह पर ज़्यादा खर्च भी करते हैं। लेकिन दरअसल यह खर्च उनकी कूवत के बाहर का होता है और जीवन भर की बचत इसमें खर्च होती है और अगर दंपति अलग होना चाहते हैं तो यह बचत उन्हें डूबती हुई दिखाई देती है। वे यह जानते हैं और सभी देख सकते हैं कि उनका सारा खर्च एक तरह का अपव्यय ही था।
लेकिन मध्य वर्ग में तलाक न लेने का कारण सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं होता। लोग जितना अधिक अमीर होते हैं उतना ही उनके लिए आडंबरपूर्ण दिखावा करना महत्वपूर्ण होता है। वे विश्वास करते हैं कि अपने परिवार में आप जितना खुश हैं, समाज में आपकी प्रतिष्ठा का स्तर भी उतना ही ऊंचा माना जाता है। अगर आप लड़ते-झगड़ते हैं या अलग होने के बारे में सोच रहे हैं तो समझा जाता है कि आप निचले वर्ग के लोगों जैसा व्यवहार कर रहे हैं और आपको यह शोभा नहीं देता।
उनकी लड़कियां पढ़ी-लिखी हो सकती हैं और तलाक के बाद नौकरी करके कमा-खा सकती हैं। दुर्भाग्य से ऐसा समझा जाता है कि वही औरतें नौकरी करती हैं और पैसा कमाती हैं जो निर्धन हैं और यह उनकी प्रतिष्ठा को कम करने वाला होता है। बहुत सी औरतों के लिए यह उनके अहं को चोट पहुंचाने वाली बात होती है। इसलिए वे यही बेहतर समझती हैं कि मुश्किल हालातों के बावजूद किसी तरह घर में बनी रहें, अपने पति और उसके परिवार के साथ लड़ते-झगड़ते!
अकसर यह घर के ही टूटने का कारण बनता है। पति-पत्नी तय करते हैं कि रोज़ की तू-तू, मैं-मैं से अलग होना ही बेहतर है और वे अलग हो जाते हैं। यह उनकी आर्थिक स्थिति पर थोड़ा बोझ तो होता है मगर अपने विवाह के तनावों को कम करने का इसके सिवा उन्हें कोई चारा नज़र नहीं आता। लेकिन तलाक किसी हालत में विकल्प नहीं होता!