जब एक परिचयात्मक शब्द सब कुछ बदलकर रख देता है! 4 फरवरी 2015
स्वामी बालेंदु शिक्षक की नौकरी के एक साक्षात्कार का ज़िक्र करते हुए बता रहे हैं कि किस तरह वह उनकी अपेक्षा से बहुत अलग रहा!
आनन्द – मौज, मज़ा, हंसना हँसाना, खिलखिलाना, चुटकुले और मस्ती
स्वामी बालेन्दु कहते हैं उनके जीवन का सिद्धांत है मौज लेना! जिन्दगी को जादा गंभीर मत बनाओ! हंसो हंसाओ और मौज लो!
स्वामी बालेंदु शिक्षक की नौकरी के एक साक्षात्कार का ज़िक्र करते हुए बता रहे हैं कि किस तरह वह उनकी अपेक्षा से बहुत अलग रहा!
स्वामी बालेंदु जीवन के एक महत्वपूर्ण प्रश्न से दो चार हो रहे हैं। क्या आप इस विषय में उनकी मदद कर सकते हैं?
स्वामी बालेंदु एक मज़ेदार कहानी लिख रहे हैं, जिस पर वे और उनके मित्र कई साल से बार-बार हँसते रहे हैं।
स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि कैसे एक बार उन्हें एक जन्मदिन की पार्टी में आमंत्रित किया गया और उन्होंने मिलकर पंद्रह लोगों के लिए तैयार मिठाइयाँ अकेले ही चट कर लिया!
एक बार जब रमोना अपरा को लेकर ख़रीदारी करने गईं तो एक बड़ा मज़ेदार वाकया पेश आया, जिसे स्वामी बालेंदु के शब्दों में पढ़ें।
स्वामी बालेंदु एक मज़ेदार घटना का वर्णन कर रहे हैं, जब एक भारतीय महिला की स्पष्टवादिता के सामने रमोना निर्वाक रह गई।
स्वामी बालेन्दु एक महिला के टीवी इंटरव्यू के बारे में बता रहे हैं जिसमें वह महिला यह दावा करती है कि वह एक साइकिक है और एलिएन्स के साथ संभोग कर चुकी है।
अवकाश ग्रहण करने के बाद सोलहवें पोप बेनेडिक्ट क्या-क्या कर सकते है इस बारे में काफी सोच-विचार करने के बाद स्वामी बालेंदु कुछ विकल्प यहाँ सुझा रहे हैं! आप भी कुछ विकल्प प्रस्तुत करें!