अकेलेपन के एहसास से कैसे निपटें? 12 नवम्बर 2014

कुछ दिन पहले आश्रम में हमारे आयुर्वेद-योग अवकाश शिविर में भाग लेने एक महिला आई थी। आज मैं उसकी एक समस्या का ज़िक्र करूँगा और साथ ही उस समस्या का सामना करने के लिए उसे दी गई हमारी सलाहों के बारे में भी बताऊँगा। ऐसा करते हुए, स्वाभाविक ही मैं उसका परिचय गुप्त रखूँगा। मेरा विश्वास है कि उसका मामला और उसकी भावनाएँ दूसरे बहुत से लोगों से मिलती-जुलती हैं, विशेष रूप से पश्चिमी देशों में: वह अक्सर अकेलापन महसूस करती है।

पश्चिमी समाजों में व्यक्तिवाद को व्यापक रूप से दिए जाने वाले महत्व के बारे में मैं कई बार लिख चुका हूँ। शुरू से ही आपको स्वावलंबी होना सिखाया जाता है, न सिर्फ स्वतंत्रता पूर्वक रहना बल्कि अकेलापन महसूस न करना भी। यह सिखाया जाता है क्योंकि समाज में अक्सर बड़े, संयुक्त परिवार नहीं होते और लोग ज़्यादातर अकेले रहते हैं या कभी-कभी किसी महिला या पुरुष के साथ और कभी-कभी उनके एक या दो बच्चे भी हो जाते हैं। लेकिन ऐसा करते हुए भी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि आपको कोई उपयुक्त साथी मिल ही जाए-और इसीलिए इस बात की भी कोई गारंटी नहीं होती कि आप अकेलेपन का सामना करना सीख सकें!

यही कारण है कि मेरी बहुत से ऐसे लोगों से मुलाक़ात होती रहती है जो मुझे बताते हैं की उनके पास बहुत अच्छी नौकरी है, वे बहुत रूपया-पैसा भी कमाते हैं लेकिन फिर भी नितांत एकाकी हैं और लोगों का साथ पाने को सदा लालायित रहते हैं। और अक्सर वे अपनी इस छोटी सी कामना की पूर्ति नहीं कर पाते।

जो महिला यहाँ आई थी, उसकी भी यही समस्या थी। वह तीस से अधिक उम्र की महिला थी और उसका न तो कोई साथी था और न कोई बाल-बच्चे थे। सिर्फ कुछ मित्र थे, जो शादीशुदा, बाल-बच्चेदार लोग थे। उसने बताया कि वह बहुत सामाजिक व्यक्ति नहीं है, बाहर निकलकर लोगों से मिलना-जुलना भी उसे अधिक पसंद नहीं है और नए मित्र बनाने में उसे बहुत वक़्त लगता है।

आयुर्वेद-योग अवकाश सत्र में हमने कुछ व्यायामों और मालिश की सहायता से उसकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के इलाज के उपाय बताए लेकिन उसकी मानसिक और भावनात्मक समस्या अर्थात उसके अकेलेपन के निदान हेतु भी कुछ सुझाव दिए:

हमने उससे कहा कि वह कुछ देर बगीचे में काम करे और स्कूल के काम में भी मदद करे। जी हाँ, हमने उससे कहा कि अपने अकेलेपन से लड़ने के लिए उसे थोड़ा समय बच्चों के साथ और कुछ समय प्राकृतिक वातावरण में गुज़ारना चाहिए।

बच्चों के पास ऐसी शक्ति होती है, जो किसी पास नहीं होती: जब आप उनके साथ होते हैं तो किसी एक विषय या किसी ख़ास विषय पर बात करने की ज़रुरत नहीं होती, आपको उनकी किसी अपेक्षा की पूर्ति नहीं करनी पड़ती और न ही आपको उन्हीं की भाषा में बात करने की ज़रुरत पड़ती है। आप सिर्फ उनके साथ रहें और वे आपके साथ उसी तरह रहते हैं, उसी तरह का बर्ताव करते हैं जो वे दूसरे सभी लोगों के साथ करते हैं। आप उनके साथ, उनके लायक किसी न किसी गतिविधि में लग जाएँ तब आप देखेंगे कि आपको कितना आनंद प्राप्त होता है! एक ऐसा एहसास, जो आपके अकेलेपन के एहसास के साथ लड़ता है क्योंकि अचानक आपके पास बहुत सारे मित्र मौजूद होते हैं!

और प्रकृति का भी, हालाँकि बहुत अलग ढंग से मगर पूरी तरह वही असर होता है। बाहर निकलकर समय गुज़ारें, पेड़-पौधों के साथ, फूल-पत्तों और उनकी जड़ों के साथ सम्बन्ध बनाएँ। मैं जानता हूँ कि अब आप सोच रहे होंगे कि मित्रों के साथ, वास्तविक मनुष्यों के साथ निकटता के यह विकल्प नहीं हो सकते और हो सकता है कि कुछ हद तक आप सही हों। लेकिन घर में बैठने की जगह बाहर निकलने की कोशिश कीजिए। बाहर समय बिताइए और आप देखेंगे कि उससे आपमें एक तरह का संतुलन पैदा हो रहा है, दूसरी चीजों के साथ आपको सामंजस्य का एहसास होगा। कंक्रीट की चार दीवारों के भीतर अपनी बैठक में टीवी सीरियल देखते हुए आपको यह एहसास कभी नहीं होगा!

अब आप मेरे विचारों के विरुद्ध बहुत से तर्कवितर्क और दलीलें लेकर आएँगे। उनकी तरफ ध्यान न दें, बस इन उपायों पर अमल शुरू कर दीजिए। प्रकृति, कोई बगीचा या पार्क आपको हर कहीं मिल जाएँगे। स्वाभाविक ही हर जगह, आसपास आपको प्राथमिक शालाएँ या बालविहार (किंडरगार्टन) नहीं मिलेंगे, जहाँ आप बच्चों के साथ समय बिता पाएँ। लेकिन ऐसी बहुत सी परियोजनाएँ होती हैं, कई संगठन होते हैं या दूसरी जगहें (बच्चों के संस्थान) होते हैं, जो ठीक यही चाहते हैं कि कोई आकर उनके बच्चों के साथ समय बिता सके, उनके साथ खेल सके, बातचीत कर सके। ऐसी जगहों को ढूँढ़कर वहाँ पहुँचें और उनकी मदद करें और आप महसूस करेंगे कि आप सिर्फ उनकी मदद नहीं कर रहे है बल्कि खुद अपनी भी कर रहे है!

Related posts

कृपया ग्लानि न करें यदि किसी की कल्पना करके आपका खड़ा अथवा गीली हो जाए

क्या मोनोगमी अप्राकृतिक है? क्या अपने जीवन साथी के अलावा किसी और के साथ यौन कल्पनाओं का होना मानसिक विकृति ...

Bitte haben Sie kein schlechtes Gewissen, wenn Sie eine Erektion bekommen oder nass werden, weil Sie sich jemanden vorstellen

Ist Monogamie unnatürlich? Ist es eine psychische Störung, sexuelle Fantasien mit jemand anderem als Ihrem Ehepartner zu haben? Sollten Sie ...

Please don’t feel guilty if you get erection or wet by imagining someone

Is Monogamy Unnatural? Is it a mental disorder to have sexual fantasies with someone other than your spouse? Should you ...

Meine Beziehung zu meinem Vater

Wenn Vater sagt, dass ich für dich tot bin! Stellen Sie sich meinen Geisteszustand vor, als ich Waise wurde, als ...

My relationship with my father

When father says that I am dead for you! Imagine my mental state when I became an orphan when my ...

पिता के साथ मेरा सम्बन्ध

जब पिता कह दे कि मैं मर गया तेरे लिए! कल्पना करें मेरी उस मानसिक दशा की जबकि मैं बाप ...

Neues Kapitel im Leben, Herausforderungen und Lektionen

Ich gehöre auch zu denen, die Indien vor sieben Jahren verlassen haben. Früher habe ich dort Geschäfte gemacht und Steuern ...

New chapter in life, challenges and lessons

I am also one of them who left India 7 years back. Used to do business there and used to ...

जीवन का नया अध्याय, चुनौतियाँ और सबक

मैं भी उनमें से एक हूँ. 7 साल पहले भारत छोड़ के चला गया. वहाँ व्यापार करता था और टैक्स ...

Sexuell missbrauchte elfjährige Schwester und mein Schuldgefühl, dass ich sie nicht retten konnte!

Ich hatte nur eine jüngere Schwester, Para. Sie hat uns vor 17 Jahren für immer verlassen, bei einem Autounfall auf ...

Leave a Reply