कल मैंने लिखा था कि पश्चिमी महिलाओं और भारतीय पुरुषों के मध्य होने वाले वैवाहिक संबंधों में दोनों को ही विवाह पश्चात् महिला की स्थिति पर गंभीर विचार करने की ज़रूरत होती है– क्या वह घर में रहेगी या नौकरी या अपना कोई काम करेगी? ऐसे या इसी तरह के और भी कई प्रश्न इस बात पर निर्भर करते हैं कि आप दुनिया के किस कोने में स्थाई रूप से बसना चाहते हैं लेकिन सामान्य रूप से ही भारतीय महिला और पश्चिमी महिला के बीच और भारतीय पुरुष और पश्चिमी पुरुष के बीच काफी अंतर होता है और जब आप एक साथ रहने लगेंगे तब निश्चित ही वे आपके सामने उजागर होंगे, फिर चाहे आप कहीं भी, किसी भी देश में रहें। मुझे लगता है कि पश्चिमी महिलाओं की आज़ादी पर अपने विचार व्यक्त करूँ और बताऊँ कि क्यों बहुत से भारतीय पुरुष उससे आश्चर्यचकित रह जाएँगे!
पश्चिमी महिलाओं के साथ संबद्ध मेरे मित्रों: आश्चर्य आपका इंतज़ार कर रहा है! पश्चिम में चीजें जिस तरह काम करती हैं, सिर्फ उसी कारण आपकी पश्चिमी महिला बहुत से ऐसे हुनर अपने साथ लेकर आएगी, जिनके बारे में आप शायद जानते भी न होंगे! क्योंकि वहाँ भारत के मुकाबले लड़कियों का लालन-पालन काफी हद तक लड़कों जैसा ही होता है, लड़कियाँ भी वह सब कर पाती हैं जो लड़के करते हैं। वहाँ का समाज महिलाओं पर उस तरह पाबंदी नहीं लगाता जिस तरह भारतीय समाज लगाता है। लगभग हर जगह, जहाँ पुरुष आ-जा सकते हैं, महिलाओं का आना-जाना भी सुरक्षित होता है, वह भी किसी भी समय और अकेले। और क्योंकि अधिकतर पश्चिमी देशों में श्रमिकों की कमी हैं और मजदूरी की दर बहुत ज़्यादा, अधिकतर लोग बहुत से काम, किसी मजदूर को बड़ी रकम देकर कराने की जगह, खुद करते हैं। इसलिए लोग बहुत से काम अपने हाथों से करना सीख लेते हैं।
नतीजा यह होता है कि आपको इस तथ्य के साथ तालमेल बिठाना पड़ता है और फिर उसकी आदत डालनी पड़ती है कि पश्चिमी महिला यानी आपकी होने वाली जीवन साथी एक सामान्य भारतीय महिला की तुलना में बहुत अधिक स्वतंत्र और खुदमुख्तार होती है। उसे सूटकेस उठाने में, घर की पुताई करने में और झाड़ पर चढ़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी। वह बिजली का बिल जमा कर आएगी, कार चला लेगी और दुनिया भर में अकेली घूम-फिर आएगी।
उस पर पाबंदियाँ लगाने की बजाए उसका आदर करें और उसके हुनर की, उसके काम की प्रशंसा करें! उससे सीखें कि किस तरह लिंग आधारित भूमिकाएँ परस्पर बदली जा सकती हैं और लिंग भेद की बेड़ियाँ शिथिल की जा सकती हैं। कुछ नया करने की कोशिश करें, कुछ ऐसा, जिसे अब तक आप 'जनाना काम' समझते आए थे! और तब आप महसूस करेंगे कि इससे आपको कितना लाभ होता है क्योंकि तब आप ज़िम्मेदारियों को बाँट लेते हैं और उन्हें अकेले-अकेले ढोने की ज़हमत से बच जाते हैं!
और आप, मेरी महिला मित्रों: आपको संयम रखना होगा और समझना होगा कि जब आप कोई साहसिक काम अंजाम देती हैं और आपका साथी उससे असुविधा महसूस करता है तब इसके पीछे क्या कारण होता है, उन कारणों की जड़ कहाँ होती है। एक छोटा सा काम- सीढ़ी पर चढ़कर बल्ब बदलना- भारतीय पुरुष इतना सा काम भी महिलाओं को करता देखने के आदी नहीं होते! भारतीय महिलाएँ पालन-पोषण करने वाली बच्चों की माँ और पति की देखभाल करने वाली कोमलांगी पत्नी बनकर रहने को ही प्राथमिकता देती हैं, जो पति के बगैर एक कदम आगे नहीं रख सकती!
अपने पुरुष साथी को दिखाइए कि कैसे आप अपने हाथों और पैरों का इस्तेमाल करना जानती हैं। जहाँ आपको ज़रूरत महसूस होती हो, अपनी स्वतंत्रता न छोड़ने पर अड़े रहिए लेकिन कभी-कभार अपना सूटकेस उसे उठा लेने दीजिए! इस बात का मज़ा लीजिए कि आपका भारतीय पति इस मामले में किसी पश्चिमी पति के मुकाबले ज़्यादा मददगार है और आपके लिए अधिक सुविधाजनक साबित हो रहा है! मुझे विश्वास है कि कभी-कभी मामूली अदाओं से पुरुषोचित कार्य करने वाले बलवान पुरुष होने के उसके एहसास को आप तुष्ट कर पाएँगी। कभी-कभी भारतीय पुरुषों को इसकी ज़रूरत महसूस होती है!
अंत में, अगर आप भारत में रह रही हैं तो कुछ मामलों में, जैसे यदि वह शहर के कुछ ख़ास इलाकों में जाने से मना करता है तो उसकी बात मानें। लेकिन कुछ समय बाद, अगर आपको लगता है कि यह कुछ ज़्यादा हो रहा है, आपको पाबंदी या वर्जना जैसा लग महसूस हो रहा है और उससे आपको दिक्कत हो रही है तो बात कीजिए-ऐसा न हो कि सुरक्षा के बहाने आप पर आवश्यकता से अधिक पाबंदियाँ आयद करके वह अपना वर्चस्व प्रदर्शित करने की कोशिश कर रहा हो!
ये बातें सिर्फ चर्चा करने के लिए नहीं हैं बल्कि उन पर अमल करने के लिए भी हैं और अमल तभी हो सकता है जब आप साथ रहें। लेकिन कम से कम आपको इन बातों की जानकारी हो गई और सामने आ सकने वाली दिक्कतों का आपको अनुमान हो गया। आगे उन पर चर्चा करने के काफी अवसर प्राप्त होंगे!
अभी भी बहुत से विषय हैं जिन पर चर्चा की जानी चाहिए- और अगले कुछ दिन मैं उन बातों पर विस्तार से लिखूँगा!