कल मैंने बताया था कि सालों एक साथ रहने के बाद भी कुछ दम्पति आपस में प्रेम का अनुभव नहीं करते। इसके विपरीत वे हर वक़्त आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। लेकिन उन दम्पतियों के बीच भी समस्याएँ होती हैं जो एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और दुर्भाग्य से मैंने देखा है कि वे बातें ऐसी होती हैं, जिन्हें उनके बीच विवाद का कारण नहीं बनना चाहिए: अर्थात, पैसा!
भारत में महिलाएँ असुरक्षा के चलते विवाह करती हैं। वैसे, यह बात बड़े शहरों में रहने वाली आजकल की आधुनिक, युवा महिलाओं के बारे में सच नहीं है, जो पढ़ी-लिखी और रोज़गारयाफ्ता हैं और खुद पैसा कमाती हैं। लेकिन शहर में रहने वालों की संख्या काफी कम है और बहुसंख्या उन लोगों की है, जो गावों और कस्बों में रहते हैं। परम्परा से ही लड़कियों को घरेलू कामकाज करने, घर की और पति और बच्चों की देखभाल करने की शिक्षा ही दी जाती है। वे पैसे नहीं कमातीं, उनसे इसकी अपेक्षा भी नहीं की जाती और इस तरह वे विवाह इसलिए करती हैं कि कोई उनके खर्चों की पूर्ति करने वाला भी हो।
पश्चिम में अधिकांश महिलाओं के मामले में बिलकुल दूसरी बात होती है। अकसर महिलाएँ और पुरुष एक जैसे काम करते हैं। दोनों ही पैसे कमाते हैं और अगर वे विवाह करने का निश्चय कर लें तो ऐसा वे आपसी प्यार के चलते करते हैं- या किसी और कारण से, लेकिन अकसर महिलाएँ इतना तो कमाती ही हैं कि अपना खर्च अच्छी तरह उठा सकें। वहाँ धनी लोग शादी से पहले इकरारनामा लिखवाते हैं, जिससे हर बात शुरू से स्पष्ट रहे।
आपको लग सकता है कि मैं पूरी तरह एकतरफा बात कर रहा हूँ लेकिन अगर आप गौर करें कि हर बार मैंने ‘अधिकतर’ महिलाएँ या पुरुष कहा है तो आपको मेरी बात गलत नहीं लगेगी!
समस्या यह है कि दोनों संस्कृतियों में पति-पत्नियों के बीच पैसे को लेकर लड़ाइयाँ होती हैं! अगर पत्नी घर में रहती है और उसे एक निश्चित रकम घर खर्च के लिए मिलती है तो भी वे लड़ते हैं। अगर पत्नी या पति अपने साथी से काफी अधिक पैसे कमाकर लाते हैं तो भी उनके बीच लड़ाई-झगड़े होते हैं। अगर वे दोनों बराबर पैसे कमाते हैं मगर कोई एक दूसरे से अधिक खर्च करता है तब भी लड़ाई होती है।
अर्थात, इसका महत्व नहीं है कि किस विचार को आप पसंद करते हैं लेकिन अपने संबंधों में आपको चाहिए कि आप पैसे को अपने प्रेम से अधिक महत्व न दें। आपके बीच पैसे से अधिक जीवन की दूसरी सब बातों से संबन्धित सवाल होने चाहिए!
मेरे विचार में सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि आप अपने संबंधों में किसी भी बात को 'मेरे' और 'तुम्हारे' के नज़रिए से न देखें। हर चीज़, हर सुख, हर दुःख, हर समस्या या ख़ुशी आप दोनों की है क्योंकि आप दम्पति हैं, एक-दूसरे से प्रेम करने वाले पारिवारिक सदस्य हैं। सब कुछ आप दोनों की मिल्कियत है और आप अपने साथी को खुश देखना चाहते हैं। एक-दूसरे की ख़ुशी का खयाल रखें!
आप एक-दूसरे के साथ रहना चाहते थे, अपने प्रेम का आनंद उठाना चाहते थे, उसे और फलता-फूलता देखना चाहते थे इसलिए आपने आपस में विवाह किया है। पैसे का भी महत्व है लेकिन उसे इतना अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो जाना चाहिए कि वह आपके बीच लड़ाई का कारण बन जाए! असुरक्षा को अपने ऊपर हावी न होने दें-मामला पैसे का हो या प्रेम का!