आज मैं एक ऐसे रवैए के बारे में लिखना चाहता हूँ, जिसे एक प्रकार की नकारात्मकता कहा जा सकता है। कुछ लोग होते हैं जो दूसरों को नीचा दिखाकर बहुत खुश होते हैं। वैसे वे नकारात्मक नहीं होते-लेकिन वे आपको नकारात्मक स्थितियों में लाकर बहुत खुश होते हैं, ऐसी स्थिति जिसमें अपने आपको पाकर आप कतई खुश नहीं होते!
मुझे पक्का विश्वास है कि आप भी ऐसे लोगों से अवश्य मिले होंगे! आप कुछ भी कहेंगे या आप कुछ भी कर लें वे आपकी आलोचना करने का कोई न कोई बहाना ढूँढ़ ही लेंगे, आपका व्यवहार कैसा रहा या आपके सोचने का तरीका किस तरह गलत था। जानबूझकर वे आपको उत्तेजित और नाराज़ करने के लिए कोई न कोई ऐसी बात कहेंगे कि आपको लगेगा, आप उस चर्चा के लायक नहीं हैं या चल रहे वार्तालाप में आपका स्वागत नहीं किया जा रहा है या आप पूरी तरह गलत हैं।
मुझे लगता है, यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है और काफी हद तक अहंकार से जुड़ी है। ऐसे व्यक्ति पढ़े-लिखे हो सकते हैं और उनके पास बहुत सी डिग्रियाँ भी हो सकती हैं लेकिन वे खुद अपने बारे में अच्छे विचार नहीं रखते। वे भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस नहीं करते और दूसरों से अपने आपको बेहतर दिखाकर अपने अहं को संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं।
और इस तरह वे दूसरों को नीचा दिखाकर आनंद प्राप्त करते हैं। वे सोचते हैं कि जिस तरह वे किसी काम को अंजाम देते हैं, वही सबसे अच्छा तरीका है। और कोई भी, जो अलग तरह से व्यवहार करता है, वह वास्तव में मूर्ख है और इसलिए उनसे कमतर है-जिससे वे अपने बारे में बेहतर महसूस कर सकें। इसके लिए वे दूसरों को दुखी करने में भी संकोच नहीं करते। यह समझ या संज्ञान कि वे अपने आप से, आसपास की दुनिया और इस जीवन से ही बेहद नाखुश हैं, इन परिस्थितियों में ही उनके व्यवहार का मूल कारण होता है।
जैसे ही पता चले कि ये लोग ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं, आप उनके संबंध में अपनी सीमाएँ तय कर लीजिए। अगर उनके साथ आप भी परेशान नहीं होना चाहते और नहीं चाहते कि कोई आपको खराब मनःस्थिति में घसीट ले जाए-जिसे वास्तव में वे ही आपके लिए निर्मित करना चाहते हैं तो आपके लिए इस कोशिश को विफल करना आवश्यक है। सबसे अच्छी बात यह होगी कि जितनी जल्दी हो, आप उनसे पीछा छुड़ा लें। उनके साथ आपका सामान्य वार्तालाप संभव नहीं है। आप उन्हें नहीं सुधार सकते क्योंकि वैसे भी वे समझते हैं कि हर चीज़ वे सबसे बेहतर जानते हैं! जब तक आप परेशान और दुखी नहीं हो जाते, वे रुक नहीं सकते।
इसलिए याद रखिए कि वास्तव में वे खुद ही भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और अपने अहं और आत्मसम्मान को लेकर परेशान हैं। उन्हें आपकी भावनाओं को छूने न दें या अपनी भावनाओं को उनसे बचाकर रखें। उनकी बातों को गंभीरता से न लें और सबसे अच्छी बात, उनके साथ अपनी चर्चा को संक्षिप्त और हल्का-फुल्का बनाए रखें। इस तरह आप अपनी प्रसन्नचित्तता और भावनाओं को उन लोगों द्वारा क्षतिग्रस्त किए जाने से बचा सकेंगे जो सिर्फ दूसरों का मूड खराब करके ही खुश रह सकते हैं!
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