सकारात्मक रवैया बनाए रखें – कठिनाइयाँ आपको और मजबूत बनाएँगी! 10 सितंबर 2015
कल मैंने आपको बताया था कि भले ही आपके अनुसार, परिस्थितियाँ अत्यंत खराब हों, उनसे पार पाने में आप खुद अपनी मदद कर सकते हैं! मैं पूरी गंभीरता से कह रहा हूँ कि बाद में जब आप पीछे मुड़कर देखेंगे तो आपको लगेगा कि जो हुआ, अच्छा हुआ, उससे आपको लाभ ही हुआ है। और यही बात आपको उस परिस्थिति से पूरी तरह बाहर निकाल सकती है।
कुछ लोगों के लिए यह समझ उम्र के साथ पैदा होती है। पहले-पहल जब आपके जीवन में उथल-पुथल मचती है या कोई हादसा बरपा होता है तो आप बुरी तरह टूट जाते हैं और आपको लगता है कि यह क्लेश अब जीवन भर कभी समाप्त नहीं होगा। जब आप जीवन में दो-चार बार ऐसे अनुभवों से गुज़र लेते हैं तो दिल में भीतर ही भीतर आप जान रहे होते हैं कि ये हालात भी गुज़र जाएँगे। स्वाभाविक ही सभी को उन कठिन परिस्थितियों से गुज़रना ही पड़े, यह ज़रूरी नहीं है!
मैं जानता हूँ कि इस बात में कोई खास दम नहीं है कि 'जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है' और यह बात बहुत अव्यावहारिक भी है लेकिन वास्तव में नज़र यही आता है- यह बात अलग है कि आप अभी देख नहीं पा रहे हैं। अगर आप पूरे समय उन्हीं कष्टदायक और निराशाजनक अनुभूतियों में लिप्त रहेंगे, सोचते रहेंगे कि आप बरबाद हो गए, आप पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, तो आपको इस तथ्य पर विश्वास नहीं होगा।
लेकिन आपको इस विचार से छुटकारा पाना ही होगा। अपने मित्रों से चर्चा करें, उनकी आपबीती सुनें और आप क्या महसूस करते हैं, बताएँ। कोई अच्छा संगीत सुनें, प्रकृति के नजदीक जाएँ, खुली धूप में बैठें, कुछ व्यायाम आदि करें, तैरने चले जाएँ, दौड़ें, गरम पानी से नहाएँ, मालिश करवाएँ और कुछ पसंदीदा नाश्ता-पानी करें। कोई ऐसा काम करें, जिससे तुरंत आपका मन हल्का हो जाए, आपको अच्छा लगे- और फिर अपनी परिस्थिति पर दोबारा विचार करें।
जो भी आप करें, मायूसी के साथ न करें और न ही किसी भय से या क्रोधवश या कोई चिंता दिल में लिए हुए करें- यह न सोचें कि आपका संसार टूटकर बिखर जाने वाला है। जो भी अच्छा बन पड़े, करें और जो भी करें भविष्य पर नज़र रखकर करें, यह जानते हुए कि आगे आने वाला समय अच्छा ही होगा।
धीरज रखें- सब कुछ ठीक हो जाएगा और आप जब पीछे मुड़कर देखेंगे तो पाएँगे कि इस विकट समय ने आपको मजबूत ही किया है!
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