मेरी एक ही छोटी बहन थी परा, आज से 17 साल पहले जर्मनी के लिए एयरपोर्ट आते हुए कार दुर्घटना में हमें हमेशा के लिए छोड़कर चली गई!
उसकी मौत ने मुझे तोड़ कर रख दिया था। परा के गम में डूबा हुआ था मैं, तभी मेरी जिन्दगी में रमोना आई।
परा केवल बहन ही नहीं बल्कि बेटी थी मेरी। जब मेरी अपनी बेटी पैदा हुई तो परा को याद करते हुए उसका नाम मैने अपरा रखा।
कैसा संयोग है कि आज परा का जन्मदिन है और रमोना की छोटी बहन का भी जन्मदिन है।
मुझे आज का वो दिन याद है जब मैंने परा को आखिरी बार 17 साल पहले यहीं जर्मनी से फोन पर हैप्पी बर्थडे विश किया था।
मेरी छोटी बहन परा 11 साल की उमर से ही बलात्कार और यौन शोषण का शिकार हो रही थी। ये बात उसने मुझे, अपनी एक बेस्ट फ्रेंड और परिवार के कुछ लोगों को कई साल बाद जब कि वो 16 की हुई तब बताई। मैं उसके ऊपर होने वाले अत्याचार को रोक पाने में असफल रहा तब उसने मुझे पत्र भी लिखा।
अक्सर ही अपने ऊपर क्रोध आता है और ग्लानि होती है कि माँ को दिए गए वचन और परिवार की झूठी इज्जत को बचाने के चक्कर में अपनी बहन को मैं इन्साफ नहीं दिला पाया। शायद इसीलिए आज मुझे इन्साफ और मेरी बेटी को उसका हक नहीं मिल रहा। इन्हीं कुकृत्यों को करने वाले को ब्लैकमेल कर के जिनके साथ मेरा खून का रिश्ता है उन्होंने गैर कानूनी तरीके से फर्जी कागजात तैयार करा कर पैसे और प्रॉपर्टी के लिए मेरी पीठ मे छुरा घोंपा।
आज मेरी बेटी भी 11 साल की है। मुझे अपरा में भी परा दिखाई देती है और रूह कांप जाती है मेरी जब ये सोचता हूँ कि इसी उमर से मेरी बहन ने यौन शोषण झेला था और मैं झूठी इज्जत, परिवार की शान और माँ के वचनों के कारण चुप रह गया और करा दिया गया। जैसा कि आम तौर पर भारतीय परिवेश में इज्जत के नाम पर होता है।
भारत मे मेरा सब कुछ बिखर गया,
परा की यादों और कुछ पत्रों के अलावा और कुछ भी नहीं है मेरे पास।