मैं पिछले दो दिन भी बहुत व्यस्त रहा। कल और परसों टीवी पर मैंने दो परिचर्चाओं में भाग लिया। दोनों में ही प्रश्न एक गर्मागर्म विषय पर पूछे गए, जो पिछले कुछ दिनों से भारतीय समाचारों में छाया हुआ है: राधे माँ, एक महिला गुरु, जिसकी ईश्वर के रूप में पूजा होती है। एक महिला गुरु, जिसके कुछ निजी फ़ोटो और वीडियो सार्वजनिक हो गए।
सन 2012 में ही अपने पाठकों से मैं इस महिला का परिचय करवा चुका हूँ कि कैसे यह महिला धार्मिक बनाव-श्रृंगार करके अपने अनुयायियों की गोद में बैठकर 'लैप डांस करती है।
इस महिला के विरुद्ध, जिसका असली नाम सुखविंदर कौर है, हाल ही में एक अन्य महिला ने, जिसके घर में वह रहती थी, पुलिस के पास शिकयत दर्ज़ कराई थी। आरोप यह था कि वह उस महिला के साथ हिंसक व्यवहार करती है और परिवार के दूसरे सदस्यों पर दबाव डाल रही है कि वे उसके माता-पिता से अधिक दहेज़ की मांग करें।
ये समाचार भी उतनी गंभीरता के साथ नहीं दिखाए जा रहे थे लेकिन तभी उसके कुछ व्यक्तिगत फ़ोटो और वीडियो मीडिया के हाथ लग गए, जिसमें राधे माँ मिनीस्कर्ट पहनकर फ़ोटो खिंचवा रही है और बॉलीवुड फिल्मों के गानों की धुन पर नाच रही है। जिस दिन से ये फ़ोटो और वीडियो सार्वजनिक हुए, उन्हें बार-बार टीवी समाचारों में दिखाया जाने लगा!
कुछ लोग उसके समर्थन में उतर आए हैं तो कुछ विरोध में। कुपित हिन्दू पूछ रहे हैं कि आधुनिक जीवन किस तरह धर्म और भारतीय संस्कृति का मखौल उड़ा रहा है और उसे अपवित्र कर रहा है; वे महिला पर आरोप लगा रहे हैं कि वह लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचा रही है। दूसरे धर्मगुरु और अवतार कह रहे हैं कि वह परमानंद को प्राप्त हो चुकी है, भक्ति-भाव में तन्मय हो चुकी है, इसलिए नाच-गा रही है क्योंकि ऐसी हालत में भजन-कीर्तन और बॉलीवुड के गानों में कोई अंतर नहीं रह जाता।
ऐसी दो टीवी चर्चाओं में मैंने भी भाग लिया, जहाँ कुछ लोग उसका विरोध तो कुछ लोग समर्थन कर रहे थे। मैंने दरअसल पूछा भी कि नृत्य करने में क्या दिक्कत है। वह राधे माँ कहलाती है- यह समस्या है! भारत में कई ऐसे अवतार हैं जो नृत्य करके लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। राधा और कृष्ण भी नृत्य किया करते थे और उन पर कोई उंगली नहीं उठाता! मीडिया पहले से जानता था कि वह अपने अनुयायियों के साथ लैप-डांस करती है लेकिन जब तक उनके पास इस महिला के मिनीस्कर्ट पहने हुए फोटो हाथ नहीं लगे थे, उसे किसी समस्या की तरह प्रस्तुत नहीं किया गया!
जिस व्यक्ति को आप ईश्वर के स्थान पर रखते पूजते हैं, इस तरह उसके आदेशों का पालन करते हैं, जैसे खुद आप, आपका जीवन और आपका भविष्य उससे छिपा हुआ नहीं है, उससे अपेक्षा करते हैं कि वह सार्वजनिक जीवन में एक खास तरह का व्यवहार करे, समाज में उसकी छवि साधु-संतों की तरह हो, भले ही वह महज दिखावा ही कर रहा हो। आपने उसे उच्चासन पर तो बिठा दिया लेकिन फिर आप चाहते हैं कि वह दैवी श्रृंगार करके वहाँ बैठे, एक सामान्य मनुष्य के रूप में नहीं!
यह कौन बताता है कि कोई व्यक्ति पुरुष या स्त्री अवतार होने के काबिल है? क्या कोई ऐसी संस्था है, जहाँ ये लोग कोई परीक्षा पास करके आते हैं? क्या वहाँ बताया जाता है कि उन्हें मिनीस्कर्ट नहीं पहनना है? और क्या कोई उन्हें यह भी बताता है कि अपनी झूठी दैवी शक्ति के भ्रमजाल में फँसाकर भोलेभाले लोगों को धोखा नहीं देना चाहिए? इन लोगों की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? क्या वे लोग लेंगे, जो उनके पास जाते हैं?
इसके विपरीत, राजनेता और दूसरे प्रसिद्ध लोग इन नकली और जालसाज गुरुओं के पास दौड़े चले आते हैं, उनके चरणों में लोटते हैं, उन पर पैसों की बारिश करते हैं और दुनिया के सामने ज़ाहिर करते हैं कि वे उन गुरुओं को मानते हैं, उनके कामों का अनुमोदन करते हैं। कोई भी व्यक्ति, जो थोड़ा-बहुत अभिनय जानता है, साधु जैसे धार्मिक कपड़े पहनकर भगत, साधु या गुरु बन सकता है! वे टीवी पर प्रचार करते हैं, विज्ञापनों पर काफी पैसा खर्च करते हैं, लोगों को आकर्षित करते हैं और अंततः उनकी जेबों से काफी पैसा निकलवाकर अपनी झोली भरते हैं!
लेकिन वे उनका आर्थिक शोषण करके ही संतुष्ट नहीं होते! वृंदावन के लिए यह कोई नई बात नहीं है: आए दिन पुलिस इन गुरुओं और अवतारों का पर्दाफाश करती रहती है, जो अपने भक्तों के पूर्ण समर्पण का लाभ उठाकर उनका दैहिक शोषण करते हैं, उन्हें अपने साथ सोने के लिए मजबूर करते हैं! कुछ लोगों के लिए यह न सिर्फ अपनी आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति का जरिया होता है बल्कि उससे उनकी शारीरिक पिपासा भी शांत हो जाती है! लेकिन कुछ दूसरों के लिए ऐसे काम गर्हित होते हैं, उन्हें महसूस होता है कि उनके डर या संकोच का लाभ उठाकर कि जिसे वे ईश्वर मान रहे हैं, वह नाराज़ या दुखी न हो, उन्हें ये काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है!
अपने टीवी इंटरव्यू में मैंने कहा कि आसाराम जैसे गुरु, जो अभी भी एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के आरोप में जेल में हैं, और राधे माँ जैसे लोग धर्म की पैदावार हैं। जब तक संगठित धर्म मौजूद हैं, ऐसे लोगों का अस्तित्व भी बना रहेगा, वे बार-बार तरह-तरह के अवतार लेकर हमारे सामने उपस्थित होते रहेंगे। वास्तव में इसकी जड़ धर्म ही है!
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