मेरे लिखित विचारों के साथ काम कर सकने वाले और मेरे जैसा सोचने वाले व्यक्ति की खोज मैंने कैसे की – 2 अगस्त 2015

बहुत समय से मैं एक ऐसे व्यक्ति की खोज मे था, जो कंप्यूटर के कार्यों में मेरी या हमारी सहायता कर सके। आम दिनों में आलेखों को इकट्ठा करना, व्यवस्थित करना, छांटना, और फिर उनको अंतिम रूप देना आदि कामों के लिए दुर्भाग्यवश हमें बिल्कुल समय नहीं मिल पता। आज अंततः मैंने एक ऐसा व्यक्ति खोज ही लिया, जो इन कामों में हमारी सहायता कर सके!

दिन भर में मैं न जाने कितने विचार लिखता रहता हूँ। निस्संदेह मेरा अपना ब्लॉग तो है ही, जिसे मैं प्रतिदिन नियमानुसार लिखता हूँ। जब कि इन प्रविष्टियों के ज़रिए मैं अपने विचार अलग से रखता ही हूँ फिर भी अक्सर बहुत से दूसरे विचार भी सहसा उत्पन्न होते रहते हैं, जो बिखरे-बिखरे से और बेतरतीब होते हैं और जिन्हें मैं दूसरी सोशल वेबसाइटों पर लिख दिया करता हूँ। उन्हें भी मैं फ़ाइल बनाकर अलग-अलग रखता जाता हूँ और यदि हम मेरे कंप्यूटर को एक लकड़ी की वास्तविक मेज़ मानें और इन फ़ाइल्स को कागज पर लिखी टिप्पणियाँ या आलेख तो आप समझ सकते हैं कि मेरे पास लिखित कागजों के न जाने कितने बंडल्स इकट्ठा हो जाते होंगे और न जाने उनमें से कितने बिखरे हुए कागज़ात मेज़ पर जगह के लिए आपस में लड़ते-झगड़ते होंगे, ऊधम मचाते होंगे! कहने का अर्थ यह कि इसी कारण मैं बहुत दिनों से किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में था जो विचारों से आपूर्ण इन अदृश्य और आभासी कागजों को व्यवस्थित कर सके।

पिछले सप्ताह, जब हमारे बहुत सारे नास्तिक मित्र आश्रम आए थे तो चर्चा के दौरान कई मित्रों का कहना था कि कितना अच्छा हो अगर मैं अपने विचारों को एक किताब की शक्ल दे सकूँ, जिससे उसे उन लोगों तक पहुँचाया जा सके, जो इंटरनेट का उपयोग नहीं करते या जो मेरे संपर्क में नहीं हैं। यह मैंने पहले भी सोचा था परंतु हमारे समक्ष उपस्थित इतने सारे कामों के बीच, अनगिनत परियोजनाओं पर एक साथ काम करते हुए और अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्राथमिकताओं के चलते हम उस तरफ पर्याप्त ध्यान नहीं दे सके थे! एक और महत्वपूर्ण कार्य और उसे अंजाम तक पहुँचाने के लिए मदद की सख्त ज़रूरत!

कुछ सप्ताह पहले मैंने फ़ेसबुक पर घोषणा की थी कि हमारे पास इस कार्य के लिए स्थान रिक्त है! यह बात तेज़ी के साथ फैली और हमारे पास बहुत सारे आवेदन आए। उनका जायज़ा लेने के बाद रमोना और मुझे एक खास व्यक्ति बहुत काम का लगा। उसने अपनी जो विशेषताएँ बताई थीं, वे हमें अच्छी लगीं और उसके कार्यानुभव से हमें लगा, यह व्यक्ति हमारे काम भलीभाँति निपटा सकता है।

आजकल इंटरनेट और खास तौर पर फ़ेसबुक की सहायता से आपसे संपर्क करने वालों के बारे में आप बहुत कुछ जान सकते हैं। इसी प्रकार मैंने इस आवेदक के बारे में पता किया कि यह है कौन और पता चला कि वह आस्तिक है। आस्तिक! क्या वास्तव में मैं इसके साथ काम कर सकता हूँ?

गलत न समझें- हमारे यहाँ आश्रम में आस्तिक भी काम करते हैं- भोजन बनाने वाला, बागवानी करने वाला और साफ-सफाई करने वाला। लेकिन एक बार कोई मेरे विचारों पर काम करते हुए उनकी छंटाई और संजोने का काम कर दे, तो हम अगले चरण में पहुँच जाएँगे! ऐसे में, मुझे लगता है, मुझे एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होगी, जो उसी दिशा में सोचे, जिस दिशा में मैं सोच रह हूँ! यदि मेरे शब्दों पर काम करने वाला व्यक्ति मेरी सोच के विपरीत अपने विचार रखता है, तो वह मेरे शब्दों के प्रति न्याय नहीं कर पाएगा! नहीं, हमने इस व्यक्ति को अपना काम सौंपने का विचार छोड़ दिया।

पिछले सप्ताहांत के नास्तिक सम्मलेन में ऐसे दो या तीन व्यक्ति ही मिले, जिनके बारे में मैं नहीं जानता था कि वे फेसबुक पर भी हैं। इस मुलाक़त के बाद हम लोग दोस्त बन गए और बाद में फ़ेसबुक के माध्यम से भी जुड़ गए। इनमें से एक का नाम अमित है।

उस समय हमने थोड़ी-बहुत हल्की-फुलकी चर्चा की और उसने बताया कि वह पास ही रहता और नौकरी करता है और यह भी कि जब मेरे पास रूबरू बात करने का समय होगा तब वह यहाँ आकर मुझसे मिलना चाहेगा। मैंने उसे आमंत्रित किया और वह कल आ भी गया। बहुत सारे अलग-अलग विषयों पर बातचीत के बाद मुझे लगा कि हमारे विचार आपस में काफी मिलते-जुलते हैं और तब मैंने उनसे कहा कि मेरी सहायता के लिए भी कोई योग्य व्यक्ति मिल सके तो बताओ। मैंने उन्हें अपने काम के बारे में बताया और उस व्यक्ति के बारे में भी, जो योग्य तो लग रहा था मगर जिसे हमने नियुक्त नहीं किया था।

एक मिनट सोचे बिना उसने कहा कि वह खुद यह काम करना चाहेगा। इस समय वह किसी कार्पोरेशन में काम करता है मगर अपने काम से ऊब चुका है क्योंकि रोज़ी-रोटी कमाने के लिए वहाँ अपने आदर्शों के साथ अनेक समझौते करने पड़ते हैं। उसे अपने काम से संतुष्टि नहीं मिल पाती थी, वह कुछ बौद्धिक या वैचारिक काम करना चाहता था-लिखना-पढ़ना, नई, ज्ञानवर्धक बातें सीखना और कुछ ऐसा करना, जिसका कुछ वैचारिक मूल्य हो।

इस प्रकार, ठीक इस समय अमित मेरे आश्रम में कम्प्यूटर के सामने बैठा हुआ मेरे लेखों को पढ़ रहा है और उन्हें छाँटकर व्यवस्थित करने के काम में लगा हुआ है। मिलते ही काम का प्रस्ताव; तुरत-फुरत, हाँ और काम चालू! समरूचि और समान विचार रखने वाले इस व्यक्ति के साथ लंबे समय तक काम करने और अपने विचारों के व्यवस्थित संग्रह के संपादन को लेकर मैं बहुत आशान्वित हूँ!

31 अगस्त 2015 का अपडेट 

प्रिय दोस्तों,

पिछले सात वर्षों से फेसबुक पर सक्रिय समय गुजारने के दौरान मैंने कभी भी किसी भी मित्र का नाम लेकर उसके विषय में बुरा नहीं लिखा सिवाय नेताओं और जालसाज बाबाओं के! कभी किसी नकारात्मक परिस्थिति या किसी की गलत बात को उजागर भी किया तो भी कभी किसी व्यक्ति की पहचान को प्रगट नहीं किया और उसके नाम को छुपा लिया. पहली बार मैं पछताते हुए ऐसा कर रहा हूँ क्योंकि यह आवश्यक हो गया है!

मैं आपको अमित रंजन नाम के व्यक्ति से सावधान करना चाहता हूँ, यदि आप मेरे शब्दों पर विश्वास करते हैं तो इस व्यक्ति से दूर रहें. मेरे और मेरे परिवार के विषय में यह व्यक्ति जो भी लिख रहा है उस पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है. असल में यह व्यक्ति इरादतन हमें नुकसान पहुंचाना चाहता है और इसी उद्देश्य से यह हमारे विषय में झूठ फैला रहा है. यह करीब एक महीने यहाँ आश्रम में रहा क्योंकि मैंने इस पर विश्वास किया परन्तु इसने मेरी मित्रता और प्रेम का दुरूपयोग किया.

असल में यह एक ऐसा करार था कि रहने और भोजन के एवज में यह मेरे कथनों को पुस्तक के लिए संकलित करने का काम कंप्यूटर पर करेगा. बात को संक्षेप में रखते हुए, इसके द्वारा फैलाये जा रहे झूठ से आपको सावधान करने के लिए यह लिख रहा हूँ कि इस एक महीने में इसने केवल कुछ घंटे ही दिए गए काम में कॉपी पेस्ट करने के काम में लगाए और बाकी समय यह यहाँ मिली सुविधाओं का अनुचित लाभ उठाता रहा! जिसमें एयरकंडीशन, लैपटॉप और इंटरनेट कनेक्शन शामिल है.

मैं कह नहीं सकता कि यह हमें क्यों नुकसान पहुंचाना चाहता है और इसके क्या इरादे हैं! परन्तु निश्चित ही हम इसके अतिवादी विचारों से सहमत नहीं हैं और मैंने इसे चेताया भी कि आप हमें हानि पहुंचा रहे हैं परन्तु ये महाशय हमारा नुकसान करने में रुके नहीं.

हम असल में किसी के भी विचारों का सम्मान करते हैं जब तक कि वो उन्हें अपने लिए रखें, किसी का नुकसान न करें, साथ ही हमारे तथा हमारे आसपास रहने वाले लोगों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से रहें. इसको असल में इसी से समस्या थी और हमने इससे कहा कि आप यहाँ से चले जाएँ. बस इसीलिये ये अपसेट हो गया और क्रोध में असम्मानजनक अनाप शनाप झूठ लिख कर दुनिया के अलग अलग हिस्सों में बैठे हमारे मित्रों को टैग कर रहा है. ये तो अब यह दावा भी कर रहा है कि मैं इससे किताब लिखवाना चाहता था. जबकि ऊपर आप पढ़ सकते हैं कि ऐसा कुछ भी मेरे दिमाग में नहीं था. मुझे किसी घोस्ट राइटर की जरुरत नहीं है – केवल अलग अलग फाइलों में मेरे पहले से लिखे हुए विचारों को एक फ़ाइल में कॉपी पेस्ट करके किताब के लिए एकत्रित करना था.

वैसे तो इस तरह के बहुत से लोग हैं जो मेरे और मेरे परिवार के विषय में दुनिया भर की ऐसी बातें कहते हैं जोकि सच नहीं है. और समस्या वही है कि हमारे विचार अलग हैं. परन्तु वो जोकि मेरे मित्र हैं, वो हमें जानते हैं, उनके लिए मुझे कोई सफाई देने की जरुरत नहीं है, वो सत्य जानते ही हैं और यहाँ आकर देख भी सकते हैं.

मेरे भाइयों के पास बहुत सारे फोन आये इसलिए मैं यहाँ आप सभी को यह बताना चाहता था कि आप जिसे मेरा मित्र समझते थे उसके द्वारा मेरे विषय में इस प्रकार के झूठ पढ़कर विचलित न हों. सावधान रहें यह व्यक्ति अपने फ्रस्ट्रेशन में आपको नीचा दिखाने की कोशिश करेगा और उसके लिए कुछ भी झूठ तथा बुरा बोलगा और उसी समय आपकी दयालुता का अनुचित लाभ लेने में भी नहीं हिचकेगा. यह हमने तब भी देख लिया जबकि हमने इसके लिए दिल्ली तक की टैक्सी का बिल भी दिया जबकि ये आराम से बस में भी जा सकता था. परन्तु जबकि हम एक महीने से इसके खर्चे उठा रहे थे तो हमने इसके कहने पर वो भी दे दिया.

अंत में, मैं अपनी गलती के लिए क्षमा मांगता हूँ कि किसी पर ऐसे ही इतनी आसानी से विश्वास नहीं कर लेना चाहिए. यह एक सबक है मेरे लिए और मैं भविष्य में सावधान भी रहुंगा! मैं भावुक व्यक्ति हूँ और इसने मेरी भावुकता का नाजायज फायदा उठाया. परन्तु मैं भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ सकता! किसी भी उस व्यक्ति का जो दिल में प्रेम और मित्रता की भावना रखता हो, हमेशा यहाँ स्वागत है! मेरे घर में ही नहीं दिल में भी.

Related posts

कृपया ग्लानि न करें यदि किसी की कल्पना करके आपका खड़ा अथवा गीली हो जाए

क्या मोनोगमी अप्राकृतिक है? क्या अपने जीवन साथी के अलावा किसी और के साथ यौन कल्पनाओं का होना मानसिक विकृति ...

Bitte haben Sie kein schlechtes Gewissen, wenn Sie eine Erektion bekommen oder nass werden, weil Sie sich jemanden vorstellen

Ist Monogamie unnatürlich? Ist es eine psychische Störung, sexuelle Fantasien mit jemand anderem als Ihrem Ehepartner zu haben? Sollten Sie ...

Please don’t feel guilty if you get erection or wet by imagining someone

Is Monogamy Unnatural? Is it a mental disorder to have sexual fantasies with someone other than your spouse? Should you ...

Meine Beziehung zu meinem Vater

Wenn Vater sagt, dass ich für dich tot bin! Stellen Sie sich meinen Geisteszustand vor, als ich Waise wurde, als ...

My relationship with my father

When father says that I am dead for you! Imagine my mental state when I became an orphan when my ...

पिता के साथ मेरा सम्बन्ध

जब पिता कह दे कि मैं मर गया तेरे लिए! कल्पना करें मेरी उस मानसिक दशा की जबकि मैं बाप ...

Neues Kapitel im Leben, Herausforderungen und Lektionen

Ich gehöre auch zu denen, die Indien vor sieben Jahren verlassen haben. Früher habe ich dort Geschäfte gemacht und Steuern ...

New chapter in life, challenges and lessons

I am also one of them who left India 7 years back. Used to do business there and used to ...

जीवन का नया अध्याय, चुनौतियाँ और सबक

मैं भी उनमें से एक हूँ. 7 साल पहले भारत छोड़ के चला गया. वहाँ व्यापार करता था और टैक्स ...

Sexuell missbrauchte elfjährige Schwester und mein Schuldgefühl, dass ich sie nicht retten konnte!

Ich hatte nur eine jüngere Schwester, Para. Sie hat uns vor 17 Jahren für immer verlassen, bei einem Autounfall auf ...

Leave a Reply