सन 2006 में ऐंग्सबका, स्वीडन में आयोजित "नो माइंड फेस्टिवल" के बारे में मैंने आपको बताया था, जहाँ मैं दो सप्ताह रहा और कई व्याख्यान दिए थे। मैंने ज़िक्र किया था कि आगंतुकों ने वहाँ बेहतरीन वक़्त गुज़ारा, वहाँ उन्हें बेफिक्र और तनावमुक्त वातावरण उपलब्ध था। और आज मैं अपने उसी विवरण को आगे बढ़ाता हूँ: उन दो हफ्तों में ढेर सारा सेक्स भी देखा गया!
जी हाँ, उत्सव के उन दो हफ्तों में बहुत से लोग एक-दूसरे के साथ बल्कि यों कहें कि अजनबियों के साथ भी सो रहे थे। वे वहाँ मौज-मस्ती करने आए थे और आप जानते ही हैं कि कौन सी बात अधिकतर लोगों को आनंद प्रदान करती है? जी हाँ, वही!
मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूँ। वहाँ रोज़ नए प्रेमी युगल दिखाई देते थे, लोग दिन में आपस में मिलते थे, शाम को आग के चारों ओर बैठते और धीरे-धीरे नजदीक आते हुए उस ओर पहला कदम बढ़ाते। अक्सर, वे एक साथ हाथ में हाथ डाले टेंट का रुख करते। मुझे एहसास हुआ कि उनमें से कुछ लोग वहाँ सिर्फ इसीलिए आए थे।
अब जो बात मैं आपसे कहना चाहता हूँ वह बहुत महत्वपूर्ण है: जब मैं ऐसी पंक्तियाँ लिखता हूँ तो मेरे कुछ पाठक सोच सकते हैं कि मैं जिन बातों का वर्णन कर रहा हूँ, वे बुरी बातें है। कुछ यह भी सोच सकते हैं कि ऐसे आयोजन में मेरी उपस्थिति ही अनुचित थी। और, कुछ दूसरों को यह एहसास होता होगा कि मैं खुद भी इसे गलत मानता हूँ, कि मैं इस उत्सव और उसके आयोजकों की आलोचना कर रहा हूँ।
अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो गलत सोच रहे हैं। जब मैं उन लोगों के बारे में लिखता हूँ, जो सेक्स में मुब्तिला होते हैं तो मैं सिर्फ वह लिखता हूँ जो मैंने अपनी आँखों से देखा। जब आप सुनते हैं तो आप अपने कानों से सुनते हैं। लेकिन मैं वास्तव में ईमानदारी के साथ विश्वास करता हूँ कि यह पूरी तरह नैसर्गिक और सुंदर है!
अपने शहर में आप अपने जैसा सोचने वाले जितने लोगों से मिल सकते हैं उससे कहीं अधिक लोगों आप इस तरह के आयोजनों में मिल पाते हैं! आखिर वे वहाँ आए ही इसलिए हैं कि वे भी आप जैसा ही सोचते हैं, वही चाहते हैं जो आप भी चाह रहे होते हैं! ऊपर से वहाँ कई ऐसी कार्यशालाएँ चल रही होती हैं जो आपको अपनी यौनेच्छाओं को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती हैं। उदाहरण के लिए, मैंने भी वहाँ एक व्याख्यान 'सेक्स और स्वतंत्रता' विषय पर दिया था। फिर वहाँ कुछ सेक्स सम्बन्धी कार्यशालाएँ भी चल रही थीं और कुल मिलाकर हर तरफ यही सन्देश दिया जा रहा था कि आपको अपनी भावनाओं का दमन करने की जगह उन्हें व्यक्त होने के लिए खुला छोड़ देना चाहिए।
तो अगर आपको अच्छा लग रहा है, आप किसी की तरफ आकर्षित हैं और सामने वाला भी आपके प्रति यही महसूस कर रहा है तो फिर एक रात एक-दूसरे के साथ क्यों न गुज़ारी जाए? अगर यह साथ आगे बढ़ता है तो बहुत अच्छा! नहीं, तो भी कोई बात नहीं! उस उत्सव में मेरे अंदर भी अगर किसी के लिए ऐसी भावना पैदा हो जाती तो मैं भी वही करता- और उसे बुरा भी नहीं मानता! मैं उस वक़्त अकेला भी था-लेकिन एक कार्यशाला निदेशक के रूप में मेरे पास दूसरी भी कई जिम्मेदारियाँ थीं और मैं उन लोगों के साथ बहुत करीबी रिश्ते नहीं बनाना चाहता था, जिनके साथ मैं काम कर रहा था।
इतना पढ़ने के बाद अगर आप यह सोच रहे हैं कि वह उत्सव सिर्फ सेक्स के बारे में था तो मैं आपको रोकना चाहता हूँ। जैसा कि मैंने पिछले सप्ताह बताया था, सौन्दर्य से ओत-प्रोत नैसर्गिक वातावरण में वहाँ कई बढ़िया कार्यशालाएँ, व्याख्यान, योग-सत्र, पेंटिंग, बहुत सा संगीत और सुंदर नृत्य आदि के कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। एक दूसरे के साथ होने की संभावना, अपने समय का सम्पूर्ण आनंद उठाना, सिर्फ दूसरों के साथ ही नहीं खुद अपने आपसे साक्षात्कार करना। लोग वाकई वहाँ बड़े खुश थे।
उन दो हफ्तों के "नो माइंड फेस्टिवल" की मेरी यही सुखद स्मृतियाँ हैं। व्यक्तिगत रूप से मैं खुद भी बहुत से लोगों से मिल सका, उन्हें जान सका। उनमें से कई मेरे बहुत अच्छे मित्र बन गए, जिनके साथ आज भी मेरे प्रगाढ़ संबंध बरकरार हैं।