प्यार का कोई विलोम नहीं है – 7 सितंबर 2015
स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि ऐसी कोई भावना नहीं है, जिसका प्रेम के साथ सहअस्तित्व नहीं हो सकता- घृणा भी नहीं, डर भी नहीं!
स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि ऐसी कोई भावना नहीं है, जिसका प्रेम के साथ सहअस्तित्व नहीं हो सकता- घृणा भी नहीं, डर भी नहीं!
स्वामी बालेंदु इस प्रश्न पर विचार कर रहे हैं कि क्या आप कई साथियों के साथ शारीरिक संबंध रखते हुए उदात्त प्रेम का अनुभव कर सकते हैं।
स्वामी बालेंदु ‘सेक्सी’ शब्द के बारे अपने विचार लिखते हुए बता रहे हैं कि वे क्यों समझते हैं कि प्रेम इस धरती पर सबसे अधिक सेक्सी चीज़ है!
स्वामी बालेंदु खुद अपने जीवन के प्रेमानुभाव पर एक बेहद व्यक्तिगत नोट लिख रहे हैं।
स्वामी बालेन्दु नहीं मानते कि साथ में पर्याप्त समय गुज़ारना दो व्यक्तियों के प्रेम में इज़ाफा करता है। क्यों? यहाँ पढ़िए।
स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि जब ग्रान कनारिया में भाषण के दौरान उनसे पूछा गया की प्रेम क्या है तो उन्होंने इस प्रश्न का क्या उत्तर दिया।
आप क्या चाहते हैं: प्रेम या ऐश ओ आराम? यह प्रश्न करते हुए स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि इस बात का निर्णय सबको स्वयं ही लेना होता है।
स्वामी बालेंदु प्रेम के बारे में और उसकी सीमाओं और उसकी स्वतन्त्रता के विषय में बता रहे हैं।
स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि विश्वास में परिवर्तन के साथ प्रेम के बारे में उनके विचार बदलते गए। अब वे नहीं मानते कि अपने परिवार के साथ प्रेम करना सिर्फ आसक्ति है। वे ऐसा क्यों सोचते हैं, यहाँ पढ़ें।