प्यार का कोई विलोम नहीं है – 7 सितंबर 2015

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि ऐसी कोई भावना नहीं है, जिसका प्रेम के साथ सहअस्तित्व नहीं हो सकता- घृणा भी नहीं, डर भी नहीं!

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क्या आप उस उदात्त प्रेम और शारीरिक अंतरंगता को कई लोगों के साथ साझा कर सकते हैं? 29 अक्टूबर 2014

स्वामी बालेंदु इस प्रश्न पर विचार कर रहे हैं कि क्या आप कई साथियों के साथ शारीरिक संबंध रखते हुए उदात्त प्रेम का अनुभव कर सकते हैं।

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प्रेम हमें सुंदर तो लगता है मगर सेक्सी क्यों नहीं लगता? 28 अक्टूबर 2014

स्वामी बालेंदु ‘सेक्सी’ शब्द के बारे अपने विचार लिखते हुए बता रहे हैं कि वे क्यों समझते हैं कि प्रेम इस धरती पर सबसे अधिक सेक्सी चीज़ है!

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प्रेम मुझे दुनिया का सबसे प्रसन्न व्यक्ति बनाता है – 27 अक्टूबर 2014

स्वामी बालेंदु खुद अपने जीवन के प्रेमानुभाव पर एक बेहद व्यक्तिगत नोट लिख रहे हैं।

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साथ समय गुज़ारना प्यार की गारंटी नहीं है – 19 अगस्त 2014

स्वामी बालेन्दु नहीं मानते कि साथ में पर्याप्त समय गुज़ारना दो व्यक्तियों के प्रेम में इज़ाफा करता है। क्यों? यहाँ पढ़िए।

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मेरे विचार में प्रेम क्या है? 19 जून 2014

स्वामी बालेन्दु बता रहे हैं कि जब ग्रान कनारिया में भाषण के दौरान उनसे पूछा गया की प्रेम क्या है तो उन्होंने इस प्रश्न का क्या उत्तर दिया।

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प्रेम के साथ जीवन गुजारें या भोग-विलास में – 16 जुलाई 2013

आप क्या चाहते हैं: प्रेम या ऐश ओ आराम? यह प्रश्न करते हुए स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि इस बात का निर्णय सबको स्वयं ही लेना होता है।

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मैं नहीं मानता कि ईश्वर से प्रेम करना तो पवित्र है और अपने परिवार से प्रेम करना आसक्ति-14 फरवरी 2013

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि विश्वास में परिवर्तन के साथ प्रेम के बारे में उनके विचार बदलते गए। अब वे नहीं मानते कि अपने परिवार के साथ प्रेम करना सिर्फ आसक्ति है। वे ऐसा क्यों सोचते हैं, यहाँ पढ़ें।

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