पिछले दो दिनों से मैं उन दबावों के बारे में लिखता रहा हूँ, जिन्हें भारतीय समाज में, खास तौर पर महिलाओं को, विवाह के बाद बर्दाश्त करना पड़ता है: एक तरफ उनसे विवाह-सूत्र में बंधने से पहले कुँवारी होने की अपेक्षा की जाती है तो दूसरी तरफ अब उन्हें जल्द से जल्द गर्भवती होने का निर्देश दिया जाता है! भारतीय समाज में नैतिकता को लेकर अनेक प्रकार के प्रतिबंध होते हैं और मेरे विचार में इसमें तब्दीली आनी चाहिए, जिससे आधुनिक जीवन की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप खुशियों और संतोष के लिए उपलब्ध जगह का विस्तार किया जा सके!
सच बात यह है कि किस परिस्थिति में आपका व्यवहार कैसा होना चाहिए इत्यादि बहुत से नैतिक मूल्यों और विचारों की जड़ पुरानी और परंपरागत धारणाओं में पाई जाती है और उस पुराने समय में, संभव है, वे नैतिकताएँ उचित भी रही हों। पुराने जमाने में लोगों का अनुमानित जीवन काल आज के मुक़ाबले बहुत कम हुआ करता था। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी मौत से पहले तक बच्चे पर्याप्त बड़े हो जाएँ, उनके लिए कम उम्र में बच्चे पैदा करना आवश्यक था और इसलिए विवाह के तुरंत बाद से ही इस दिशा में प्रयास करना तर्कपूर्ण कहा जा सकता है। किन्तु आज भी वही पुरानी परंपरा भारतीय मानदंड बना हुआ है और जितना जल्दी संभव हो, बच्चे पैदा करने को उचित माना जाता है। इस तरह शादी के नौ माह बाद के समय को ही बच्चे पैदा करने का मुहूर्त मान लिया जाता है!
लेकिन विवाह से पहले नहीं! बिलकुल नहीं! अविवाहित महिला को गर्भवती नहीं होना चाहिए, वैसा होने पर आसमान टूट पड़ेगा! पुराने जमाने में वास्तव में यह उसकी बरबादी का बायस हो सकता था क्योंकि महिलाएँ ही घर की देखभाल करती थीं और सिर्फ पुरुष ही परिवार के लिए भोजन-पानी का इंतज़ाम किया करते थे। महिलाओं के लिए यह संभव नहीं था कि बाहर निकलकर पैसे कमाएँ और अपनी और अपने बच्चे की देखभाल कर सकें!
लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल चुकी है। बाहरी माहौल बदल चुका है और तदनुसार विचारों में भी बदलाव आना चाहिए। आज के समय में हम तुलनात्मक रूप से लंबा जीवन जीते हैं- इतना कि सिर्फ बच्चे ही नहीं नाती-पोते भी बड़े होकर खुद अपनी देखभाल करने योग्य हो जाएँ! इसलिए, हम कुछ अधिक साल शादी का इंतज़ार कर सकते हैं और शादी के बाद कुछ और साल बच्चे पैदा करने का! जल्दबाज़ी में किसी अनजान लड़की या लड़के से शादी करने की अब आवश्यकता नहीं रह गई है। और इसीलिए माता-पिता द्वारा तय विवाह का कोई औचित्य नज़र नहीं आता-आपके पास अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को खोजने का पर्याप्त समय होता है, जिसके साथ आप सारा जीवन गुज़ार सकें! और इसीलिए बच्चे पैदा करने में जल्दबाज़ी करने की भी आपको ज़रूरत नहीं है!
अंत में, आज महिलाओं को इस बात का अवसर प्राप्त होना चाहिए कि वे स्वयं पैसे कमाकर अपनी देखभाल कर सकें। और तब अगर वे शादी से पहले सेक्स संबंध बनाना चाहती हैं या गर्भवती हो जाती हैं और बच्चे को जन्म देकर उसका लालन-पालन करना चाहती हैं तो आसमान नहीं टूट पड़ने वाला है!
दुर्भाग्य से, भारत में हम अभी उस मंज़िल तक नहीं पहुँचे हैं, जैसा कि, अगर आप मेरे ब्लॉग नियमित रूप से पढ़ रहे हैं या यहाँ की वस्तुस्थिति से परिचित हैं, तो जानते होंगे। लेकिन हमें वहाँ तक पहुँचना चाहिए-और मुझे लगता है कि कुछ समय गुज़रने के बाद हम अवश्य पहुँचेंगे!
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