हाल ही में मेरी पत्नी एक स्थानीय स्त्री-रोग विशेषज्ञ से मिलने गई। मैं आज उसी मुलाक़ात के बारे में बताना चाहता हूँ। जी नहीं, वह अपने लिए नहीं गई थी और न ही मुझे कोई खुशखबरी सुनानी है। बल्कि वह वहाँ से बहुत खराब अनुभव लेकर आई और भारतीय डॉक्टरों के काम करने के तरीके, उनके विचार और व्यवहार से पुनः एक बार खिन्न होकर लौटी। उसने अपने अनुभव मुझे बताए और वही मैं आज आपके साथ साझा करना चाहता हूँ।
अपनी गर्भावस्था और बेटी के जन्म के समय से ही मेरी पत्नी इस बात को नोटिस करती रही है कि भारत की अधिकांश महिलाएं अपने शरीर के बारे में, गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में और मोटे तौर पर गर्भावस्था से जुड़ी बातों से भी लगभग अनजान होती हैं। वे यह भी नहीं जानतीं कि वे किन परिस्थितियों में गर्भवती होने से बच सकती हैं। इस अज्ञान का मुख्य कारण शिक्षा की कमी तो है ही मगर कई पढ़ी-लिखी महिलाएं भी इस बारे में बात करने में हिचकिचाती हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि गर्भावस्था के दौरान, जब उन्हें अपने जननांगों और पूरे प्रजनन-तंत्र के विषय में जानने का सुअवसर प्राप्त होता है तब भी वे उस पर बात करने में शरमाती हैं। इसलिए रमोना हमारे स्टाफ की कई महिलाओं की और अपनी सहेलियों की भी इस विषय में मदद करती रही है। वह उनसे अपने अनुभव साझा करती है, अपनी जानकारी के अनुसार उन्हें समझाती है, उनकी गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर जानकारी लेती रहती है और चित्रों, किताबों और वीडियो की सहायता से उन्हें इस विषय में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी प्रदान करने का प्रयत्न करती रहती है। इसके अलावा वह कई बार उन्हें लेकर स्त्री-रोग की विशेषज्ञ, डॉक्टर के पास भी जाती रहती है। अभी हाल ही में हमारे आश्रम की एक महिला कर्मचारी के साथ वह एक स्त्री-रोग विशेषज्ञ के पास गई थी।
उस कर्मचारी की माहवारी का दिन बीत चुका था और वह गर्भावस्था की जांच (pregnancy test) करवा चुकी थी। जांच पॉज़िटिव आई थी मगर पति-पत्नी एक और बच्चा नहीं चाहते थे! वह परेशान थी कि अब क्या किया जाए और उसने रमोना से बात की, जो बाहर अपरा के साथ खेल रही थी। एक दूसरी कर्मचारी उसे बता रही थी कि जाकर गर्भपात की गोलियां, जो आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं, खरीदकर खा लो, यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। रमोना यह सुनकर झुँझला उठी और उससे कहा कि सबसे पहले जाकर किसी स्त्री-रोग विशेषज्ञ से मिलो। उसने उन्हें यह भी समझाया कि कोई भी बड़ा कदम बिना डॉक्टरी जांच के और बिना डॉक्टर की सलाह लिए नहीं उठाना चाहिए। उस महिला की झिझक को समझकर रमोना ने तय किया कि वह भी उसके साथ जाएगी।
डॉक्टर के पास जाने से पहले उस महिला और उसके पति के साथ रमोना ने लंबी बातचीत की और पूछा कि इस संबंध में उनकी भविष्य की क्या योजना है। दरअसल उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि वह गर्भवती कैसे हो गई क्योंकि वे समझते थे कि जब तक माँ एक बच्चे को दूध पिला रही होती है तब तक गर्भवती नहीं हो सकती। उन्हें गर्भनिरोधकों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी लेकिन वे इस बारे में निश्चित थे कि अभी उन्हें दूसरा बच्चा नहीं चाहिए। अभी वे अपने दो साल के बेटे पर ही सारा प्रेम और शक्ति न्योछावर करने का मन बनाए हुए थे। महिला पहले कई गर्भपातों के अनुभव से गुज़र चुकी थी और एक बार तो गर्भ नौ महीने का हो चुका था और मृत बच्चे को शल्य-चिकित्सा करके निकालना पड़ा था। अपनी दूसरी गर्भावस्था के समय की जटिलताओं के कारण वह जानती थी कि आगे पुनः गर्भवती होना उसके लिए खतरनाक हो सकता है और बच्चा हुआ भी तो शल्यक्रिया की मदद से ही (सीजेरियन) ही होगा। वह और उसका पति इस बात पर दृढ़ थे कि वे अभी बच्चा नहीं चाहते।
इस बातचीत के बाद और दो दिन तक अच्छी तरह सोचने के बाद रमोना उस महिला को लेकर डॉक्टर के पास गई। उनके विचार में वे सिर्फ परामर्श, जांच, लक्षण देखकर इलाज, यानी गर्भपात के लिए डॉक्टर के पास गए थे। वह उन परेशानियों के लिए तैयार नहीं थी, जिनका सामना उन्हें वहाँ करना पड़ा-लेकिन उसके बारे में मैं आपको कल बताऊंगा।
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