पश्चिमी देशों के निवासियों द्वारा सिद्धि, और अन्य चमत्कार प्रदर्शित करने वाले गुरुओं पर विश्वास करने का क्या कारण है इसपर चिंतन करते समय मुझे कुछ अन्य विचार आयें। मैंने बहुत सारे लोगों को देखा है और मिला हूं जो अंदर से जानते हैं कि यह धोखा है और सिर्फ छलावा है तब भी वे दूसरों को यह दिखाते हैं कि वे उसमें विश्वास करते हैं और यहां तक कि उन ट्रिकों को और उनकी परंपराओं को अपने व्यवसाय के लिये उपयोग करते हैं।
बहुत सारे लोग धर्म से सम्बंधित व्यवसाय करते हैं और सब प्रकार की चीजें बेचते हैं। वे इस व्यवसाय में कैसे आते हैं? उनमें से बहुतेरे वास्तव में किसी गुरु या स्वामी के शिष्य और अनुयायी के रुप में शुरुआत करते हैं। वे गुरु एवं उनके अन्तरंग शिष्यों का कुछ समय तक अध्ययन करते हैं। कुछ समय बाद वे गुरु द्वारा बिक्री के लिये दिये गये माला, पुस्तकें और दूसरी वस्तुओं को बेचना शुरु कर देते हैं, और इससे कुछ कमीशन प्राप्त करते हैं। कुछ समय बाद और थोड़े अधिक अनुभव के साथ वे स्वयं छोटे अनुष्ठान करवाना, आशीर्वाद देना और प्रार्थना करना शुरु कर देते हैं।
लेकिन अधिकतर एक बिंदु पर पहुंच कर अपने गुरु से निराश हो जाते हैं। वे समझ जाते हैं कि वह ईमानदार और ऐसा व्यक्ति नहीं है जैसा कि वह दिखावा करता है और जो वे उसमें देखना चाहते थे, वह वैसा नहीं है। अंततः वे उसे त्याग देते हैं।
लेकिन अब क्या? अगर वे खुद के साथ सौ प्रतिशत ईमानदार होते तो वे अपने गुरु की सिद्धियों में भी विश्वास नहीं करते। फलस्वरूप उन्हें यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए की वे इस गुरु के द्वारा मूर्ख बनाये गए और उन्हें इस गुरु तथा उससे जुड़ी सभी चीजों से उन्हें मुंह मोड़ लेना चाहिए। इसका सीधा मतलब यह होता कि उस व्यवसाय को त्याग देना जिसे अपने गुरु के माध्यम से उन्होंने स्थापित किया था। उनमें से अधिकांशतः ऐसा नहीं करते बल्कि सिर्फ कुछ छोटे बदलावों के साथ अपने व्यवसाय को जारी रखते हैं। वे इस स्वामी की पुस्तकें लेते है या अन्य स्वामी की पुस्तकों को लेकर दूसरे तरीके से इसे प्रस्तुत करते हैं। वे अब इस स्वामी की तस्वीर नहीं बेचते या अपनी आय को अपने पूर्व गुरु को नहीं भेजते। लेकिन इस तरीके से पैसा कमाना जारी रखते हैं। वे बिना गुरु का नाम लिये उसी धार्मिक अनुष्ठानों को करना जारी रखते है जिसे गुरु ने उन्हें सिखाया था|
मैं सामान्यतः इसके खिलाफ़ नहीं हूं कि ऐसे लोग अपने अनुभवों से दूसरे की मदद करते हुये अपना काम करे और पैसे कमायें। इसके विपरीत, मैं प्रशंसा करता यदि वे ईमानदार होते और दूसरों से कहते कि उन्होंने क्या देखा और सुना।
किन्तु यह वैसा नहीं है जैसा वे करते हैं। बल्कि जिस तरह वे खुद मूर्ख बने है उसी तरह दूसरों को मूर्ख बनाते हैं। मुझे पता है आपमें से कुछ के लिये यह कड़वा है परन्तु बहुत लोगों के साथ मेरा यही अनुभव है। अपने दिल में वे अब विश्वास नहीं करते कि वे सारे अनुष्ठान, धार्मिक कृत्य जो उन्होंने अपने गुरु के साथ किये वाकई लाभप्रद थे। वे अपने गुरु में अपना विश्वास खो चुके है लेकिन चाहते है कि उनका ग्राहक उनमें (अनुष्ठान, धार्मिक कृत्य) विश्वास करे। यह धूर्तता है लेकिन यह उनका व्यवसाय है इसलिये वे इसे त्यागना नहीं चाहते। उन्होंने देखा है कि यह सब फ़र्जी है लेकिन वे खुद इसमें शामिल हैं। यह आवश्यक है उनके व्यवसाय के लिये और अब इससे ही उनका जीवनयापन हो रहा है।
मुझे व्यक्तिगत रुप से इसका अनुभव अपने जीवन में हुआ है। यह थोड़ा अलग था, क्योंकि मैं कभी अनुयायी नहीं रहा लेकिन मैं स्वयं गुरु व्यवसाय में था और मैंने इसे त्यागने का निर्णय लिया। मैं बहुत सारी चीजों में विश्वास करता था जैसे अनुष्ठान, धार्मिक कृत्य, राशिफल और हमें इससे आय होती थी। किन्तु जब हमारा विश्वास बदला, हमने यह भी निर्णय लिया कि हम ईमानदारी के साथ जीवनयापन चाहते हैं और कुछ ऐसा न बेचें, जिसमें हम खुद विश्वास नहीं करते। बेशक इस निर्णय से हमारे कारोबार में कमी आई और हमारी आय प्रभावित हुई। कुछ समय के लिये अपने चैरिटी को चलाते रहना अधिक कठिन था क्योंकि अब उतना पैसा नहीं आ रहा था। निश्चित रूप से हमने यह महसूस किया, लेकिन यह सही फैसला था| हमने अपने विश्वास के अनुकूल अपने आय का तरीका बदला। गुरु के रुप में मैं और अधिक कमा सकता था परन्तु मैंने ईमानदारी के रास्ते को चुना।
मैं उन सबसे कहना चाहता हूं जो ऐसे हालात में है जिसका मैंने वर्णन किया, प्लीज ऐसा कुछ न बेचें जिसमें आप विश्वास न करते हों। आप कुछ और कर सकते हैं। अगर आपमें क्षमता थी जादू के करतब, मंत्र और अन्य फर्जी चमत्कार के बारे में दूसरों को समझाने की, आप अन्य चीजें भी बेच सकते हो! आप किसी अन्य क्षेत्र में जा सकते हैं! आप कुछ और कर सकते हैं, आपको बस इसकी शुरुआत करनी है! और मुझे विश्वास है जो अनुभव आपने पाया है वह भविष्य में आपके लिये मददगार होगा।