ऐसा कौन है जिसे अपेक्षाएं न हों? आनंद में रहने के लिए आशाओं अथवा अपेक्षाओं को न रखना या फिर कम से कम रखना जरुरी है. क्योंकि यदि अपेक्षाएं नहीं होंगी तो आप निराश भी नहीं होंगे!

स्वामी बालेन्दु जीवन के प्रति वास्तविक दृष्टिकोण के विषय में चर्चा करते हैं और उन स्वाभाविक अपेक्षाओं के विषय बात करते हैं जो कि आप अपने परिवार, मित्रों अथवा जीवनसाथी के साथ रखते हैं!

निरीक्षण करें हो सकता है कि आपकी अपेक्षाएं बहुत जादा हों! उन्हें कम करने का प्रयास करें!

खुद से अपनी नैसर्गिक सीमाओं से ज़्यादा की अपेक्षा न रखें- 15 अक्तूबर 2013

स्वामी बालेंदु बता रहे हैं कि अपने आपसे अपेक्षा की भी कुछ सीमाएं हैं और जब आपको लगे कि किसी क्षेत्र में कोई दूसरा व्यक्ति, आपकी अपने आपसे की जा रही अपेक्षाओं पर आपसे बेहतर साबित हो रहा है, तो आपको निराश नहीं होना चाहिए। क्यों, यहाँ पढिए।

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सपनों और आशाओं को मरने मत दीजिये – मग़र निराशाओं से सबक सीखिए! 25 फरवरी 13

स्वामी बालेंदु बताते हैं कि क्यों वह ‘उम्मीदें मत बांधो‘ की बहुप्रचलित सलाह में विश्वास नहीं रखते। जानिए स्वामी जी से निराशा से लड़ना कैसे सीखें|

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