कुछ दिनों पहले रमोना ने यूनिसेफ द्वारा यूरोप के गरीब बच्चों के विषय में कराए गए अध्ययन की एक रपट पढ़ी थी। नतीजे बताते हैं कि कितने बच्चे आज भी अपने परिवार के साथ गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। यह भी कि किस यूरोपीय देश में, कितने बच्चों को वे आवश्यक वस्तुएँ और सुविधाएं नहीं मिल पातीं जो एक विकसित और सम्पन्न देश के बच्चों को मिलनी चाहिए। हमने इस अध्ययन को और उसके नतीजों को महत्वपूर्ण समझा और इसलिए उसे यहाँ साझा कर रहे हैं।
अध्ययन में कुल 14 वस्तुएँ और सुविधाएं हैं जो उन देशों के बच्चों को, जिन्हें अमीर मुल्क समझा जाता है, प्राप्त होनी चाहिए।
- तीन बार भोजन
- कम से कम रोज़ एक वक्त मांस या मछली युक्त भोजन (या समतुल्य निरामिष आहार)
- रोज़ ताज़ी सब्जियाँ और फल
- उम्र के मुताबिक उपयुक्त पुस्तकें और जानकारियाँ (पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त)
- खेलने के मैदान और उपकरण जैसे साइकिल, रोलर स्केट्स आदि
- फुरसत के समय नियमित व्यायाम के साधन और सुविधाएं, जैसे तैरना, वाद्य बजाना या युवा संगठनों में कार्य की सुविधा
- बंद कमरों में खेलने के उपकरण और सुविधाएं (कम से कम प्रति शिशु एक, बच्चों के शिक्षाप्रद खिलौने, बिल्डिंग ब्लोक्स, बोर्ड गेम्स, कंप्यूटर गेम्स आदि)
- शालाओं द्वारा आयोजित यात्राओं में और दूसरे कार्यक्रमों में शामिल होने में लगने वाला खर्च
- होमवर्क करने के लिए प्रकाश युक्त, शांत और एकांत कमरे
- इंटरनेट कनेक्शन
- कुछ नए कपड़े (अर्थात, सेकंड हैंड नहीं)
- दो जोड़ी उनके पैरों के नाप के जूते (हर मौसम में पहनने योग्य जूतों सहित)
- कभी कभार अपने घर में दोस्तों को न्योता देने, उनके साथ खेलने और भोजन करने की सुविधा
- विशेष अवसरों पर जैसे जन्मदिन, नेम डे और अन्य धार्मिक त्योहारों पर खुशी मनाने की सुविधा
इस अध्ययन से यह बात सामने आई कि इन विकसित देशों में बहुत से बच्चे ऐसे हैं जिन्हें ऊपर उल्लिखित वस्तुओं या सुविधाओं में से कम से कम दो वस्तुएँ या सुविधाएं प्राप्त नहीं हैं। उदहरणार्थ: ब्रिटन में 5.5 प्रतिशत बच्चे इस श्रेणी में आते हैं। जैसी कि आपको उम्मीद होगी, स्केंडेनेवियन देशों, जैसे आइसलैंड, स्वीडन और नार्वे सबसे ऊपर हैं और उनके ठीक बाद हैं, फ़िनलैंड और डेनमार्क जहां सिर्फ 3 प्रतिशत बच्चे ही इस हालत में हैं। पूर्वी यूरोप के कई देश जैसे बल्गारिया और रोमानिया सबसे नीचे हैं जहां 72.6 प्रतिशत तक बच्चे ऊपर दी गई कम से कम दो सुविधाओं से महरूम हैं। जर्मनी में यह प्रतिशत 8.8 और फ्रांस में 10.1 है!
क्या यह शर्मनाक नहीं है कि फ्रांस और जर्मनी में हर दसवां बच्चा दो जोड़ी जूतों से महरूम है या उसे तीन बार भोजन प्राप्त नहीं हो पाता? इन विकसित देशों में, जहां भारत जैसी समस्याएँ नहीं हैं, इतनी बड़ी संख्या में गरीब बच्चे मौजूद हैं? मैं यह तो जनता था कि इन देशों में भी गरीबी है मगर ये आंकड़े इस विषय में बेहतर और ज़्यादा विस्तृत जानकारी मुहैया कराते हैं।
यह बहुत भयानक बात है कि ऐसे देशों में जहां सामाजिक सुरक्षा की इतनी अच्छी व्यवस्था है, जहां गरीबों की सहायता के बेहतरीन इंतजामात हैं, बच्चे भूखे रहें! मैंने हमेशा सुना है और खुद भी देखा है कि इन देशों में कई तरह से खुद सरकारें जरूरतमंदों को मदद मुहैया कराती हैं। मैं विक्षुब्ध हूँ कि यह सरकारी सहायता बच्चों तक नहीं पहुँच पाती।
यह बड़े दुख की बात है। बच्चे इस ब्रह्मांड का भविष्य हैं और यह हमारा कर्तव्य है कि उनकी क्षमता और प्रतिभा को विकसित होने देने का हर संभव अवसर उन्हें मुहैया कराएं। खासकर इन विकसित देशों में यह जानना बहुत आसान है कि भूखे और ज़रूरतमन्द बच्चों की संख्या कितनी है और वे कहाँ निवास करते हैं। उन तक मदद पहुंचाना संभव है और अगर सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है तो व्यक्तिगत रूप से लोग अपने आस-पड़ोस में मौजूद ऐसे बच्चों की सहायता कर सकते हैं। यह हो सकता है कि आपको एहसास हो जाए कि आपको एक अतिरिक्त कार की ज़रूरत नहीं है। यह संभव है कि आप अपना तीसरा टीवी बेचकर उससे प्राप्त रकम को ऐसी किसी चैरिटी संस्था को दान कर दें जो ऐसे महरूम बच्चों की सहायता करती है। आप कई और तरीकों से भी इन बच्चों की सहायता कर सकते हैं, जैसे ऐसे वंचितों को खेलने के लिए कोई खुली जगह मुहैया करा सकते हैं, संगीत की मुफ्त शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।
उठ खड़े होइए और शुरू हो जाइए! यह आपके देश के बच्चों का मामला है, यह आपके भविष्य का मामला है।