आज के समाज में भी जाति व्यवस्था जीवित है – 24 अक्टूबर 2009
स्वाभाविक ही पश्चिम से यहाँ आने वालों के लिए जाति का सवाल बहुत रुचिकर होता है। अपने स्कूल में ही वहाँ के बच्चे इस बारे में पढ़ लेते हैं और उन्हें बताया जाता है कि आधिकारिक रूप से अब इस पर पाबंदी है। जी हाँ, आधिकारिक रूप से भारतीय समाज अब जातियों के बीच बंटा हुआ नहीं है। लेकिन यह व्यवस्था समाज में जड़ जमाए हुए है। छोटे गावों में जैसी जाति प्रथा खुले आम दिखाई पड़ती है वैसी दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में, हो सकता है कि आपको दिखाई न दे, मगर शहरों में भी यह आज भी लोगों के दिमागों में मौजूद है।
मैंने कहा कि मेरे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि बच्चे यह समझें कि वे सब समान है और सभी को समान रूप से, बिना किसी भेदभाव के, प्यार मिलता है। कुछ लोग कभी भी निचली जाति के बच्चों के साथ बैठकर भोजन नहीं करेंगे। लेकिन यहाँ सारे बच्चे साथ बैठते हैं, उच्च जाति के और नीची जाति के बच्चे साथ भोजन करते हैं। क्योंकि वे एक-दूसरे से अलग नहीं हैं।
पूर्णेन्दु से किसी ने पूछा कि वृंदावन के लोग इस बारे में क्या सोचते हैं। उसने जवाब दिया कि ‘इसमें संदेह नहीं है कि कुछ लोग बहुत दकियानूसी हैं जो इसे बुरा समझते हैं और कुछ लोग हैं जो पूरी तरह इसका समर्थन करते हैं लेकिन अधिकांश लोग हम जो कर रहे हैं इसकी तारीफ तो करते हैं मगर उन्हें यह अजीबोगरीब और अटपटा लगता है, जैसे कुछ गलत सा हो रहा हो!’ तो हमारे समाज में आज भी जाति व्यवस्था किस कदर मौजूद है, आपने देखा। हमें इसके विरुद्ध अभियान चलाने की ज़रूरत है, इसमें संदेह नहीं।
You must log in to post a comment.